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हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में मुखिया विहीन चल रही 7600 त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव का रास्ता अब साफ होने जा रहा है। मंत्रिमंडलीय उपसमिति की शनिवार को हुई बैठक में पंचायतों में ओबीसी आरक्षण के नए सिरे से निर्धारण के दृष्टिगत एकल समर्पित आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण किया गया।

सूत्रों के अनुसार इस बात पर जोर दिया गया कि चुनाव वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर होंगे। पंचायतों में ओबीसी आरक्षण की सीमा किसी भी दशा में 28 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। समिति सोमवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी। माना जा रहा है कि 11 जून को होने वाली कैबिनेट की बैठक में पंचायत चुनाव के संबंध में निर्णय लिया जा सकता है।

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प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी चुनाव की स्थिति न बनने से पंचायतें संवैधानिक संकट से जूझ रही हैं। यद्यपि, चुनाव प्रक्रिया के दृष्टिगत केवल ओबीसी आरक्षण का विषय अटका है। इस संबंध में एकल समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण निर्धारण को नियमावली बननी है। साथ ही प्रशासक कार्यकाल बढ़ाने को पंचायती राज एक्ट में अध्यादेश के जरिए संशोधन को भी कसरत चल रही है।

कैबिनेट की हाल में हुई बैठक में ओबीसी आरक्षण पर वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित की गई। उपसमिति में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या व सौरभ बहुगुणा सदस्य हैं। शनिवार को हुई उपसमिति की बैठक में समर्पित आयोग की रिपोर्ट पर विमर्श हुआ। पूर्व में ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 प्रतिशत थी, जिसे आयोग ने खत्म करने की संस्तुति की है। साथ ही स्पष्ट किया कि एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। बैठक में कहा गया कि एससी व एसटी के लिए क्रमश:18 व चार प्रतिशत आरक्षण है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण 28 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

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