Uttrakhand News :बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की धार्मिक प्रक्रिया शुरू, कल बंद होंगे धाम के कपाट, आज लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का होगा आयोजन

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बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत चल रही पंच पूजाओं के तीसरे दिन बृहस्पतिवार को खडक पुस्तक की पूजा की गई। इसके बाद धाम में छह माह के लिए वेद ऋचाओं का वाचन बंद कर दिया गया और खडग पुस्तक गर्भगृह में रखी गईं।

💠कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से पंच पूजाओं के साथ शुरू हुई।

शुक्रवार को लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का आयोजन होगा और बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को अपराह्न 3 बजकर 33 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से पंच पूजाओं के साथ शुरू हुई। पहले दिन गणेश मंदिर और दूसरे दिन आदिकेदारेश्वर मंदिर व शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए। वहीं तीसरे दिन बृहस्पतिवार को विधि-विधान के साथ खडग पुस्तक पूजन किया गया और वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो गया।

💠शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा होगी और कढ़ाई भोग लगाया जाएगा। 

18 नवंबर को रावल स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता की प्रतिमा को भगवान बदरीनाथ के सानिध्य में रखेंगे। इसके बाद अपराह्न 3 बजकर 33 मिनट पर विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

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💠18 लाख के पार हुई बदरीनाथ में यात्रियों की संख्या

अधिक से अधिक यात्री बदरीनाथ धाम के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। इस साल अभी तक धाम में पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 18 लाख के पार हो चुकी है, जो अभी तक का रिकाॅर्ड है। बदरीनाथ धाम में इस साल मंगलवार तक 18 लाख 10 हजार तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं। धाम की यात्रा अंतिम चरण में है जिससे यात्री बड़ी संख्या में धाम पहुंच रहे हैं। मंगलवार को 10 हजार से अधिक और बुधवार को भी करीब 10 हजार यात्री धाम पहुंचे हैं। वहीं पिछले साल पूरे सीजन 17 लाख 60 हजार 646 यात्रियों ने दर्शन किए थे।

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत बुधवार को समाधि पूजा के बाद आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए गए हैं। बृहस्पतिवार को खड़क पुस्तक बंद करने के साथ ही धाम में छह माह से चल रहे वेद ऋचाओं का वाचन भी बंद हो जाएगा। तीन दिनों तक धाम में गुप्त मंत्रों से पूजाएं होंगी और 18 नवंबर को धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

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बुधवार को आदिकेदारेश्वर मंदिर में रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने आदि केदारेश्वर शिवलिंग को पके चावलों से ढककर समाधि पूजा की। धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल तथा वेदपाठी रविंद्र भट्ट ने समाधि पूजा में सहयोग किया। उसके बाद आदिकेदारेश्वर शिवलिंग को समाधि रूप देकर भस्म एवं फूलों से ढका गया।

इस दौरान हक-हकूकधारी व तीर्थयात्रियों ने भगवान आदिकेदारेश्वर के दर्शन किए। पुजारी सोनू भट्ट तथा विशेश्वर प्रसाद डंगवाल ने अपराह्न तीन बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए। इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर में आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति की निर्वाण रूप में पूजा-अर्चना की गई।

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