देश की अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए–प्रधानमंत्री मोदी

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अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के बोले प्रधानमंत्री मोदी

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना भी शामिल हुए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें ‘लक्ष्मण रेखा’ का ध्यान रखना चाहिए। अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी।

 

सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि यदि नगरपालिकाएंए ग्राम पंचायतें अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं, यदि पुलिस ठीक से जांच करती है और गैरकानूनी कस्टोरियल यातना खत्म होती हैए तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं होगी। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अदालत के फैसलों पर सरकार द्वारा वर्षों तक अमल नहीं किया जाता है। न्यायिक घोषणाओं के बावजूद जानबूझकर निष्क्रियता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा हालांकि नीति निर्धारण हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन अगर कोई नागरिक अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आता है तो अदालत मना नहीं कर सकती है। सीजेआई ने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब यह निजी हित याचिका बन गई है और निजी मामलों को निपटाने के लिये इसका इस्तेमाल किया जाता है।

 

पीएम मोदी ने कहा कि 2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

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