सावधान? ईयरफोन-ईयरबड के ज्यादा इस्तेमाल से सिकुड़ रहे हैं कान के पर्दे, युवाओं में अधिक इस्तेमाल से कम हो रही है सुनने की क्षमता
आज कल लोगों में सुनने की क्षमता कम हो रही है। 60-65 साल के बाद ऊंचा सुनने की शिकायत आम है। लेकिन, अब युवा भी ऊंचा सुनने लगे हैं। ईयरफोन,ईयरबड और हेडफोन का ज्यादा इस्तेमाल युवाओं को भी बहरा बना रहा है। इस बात की पुष्टि राजधानी के हमीदिया और जेपी अस्पताल में कम सुनने और कान की समस्या लेकर पहुंच रहे लोगों से होती है। इन दोनों अस्पतालों में साल भर 10 हजार से अधिक लोग कान की समस्या लेकर पहुंचते हैं। इनमें 40 फीसदी से अधिक मरीज 28 से 48 साल के बीच हैं। चिकित्सकों ने इसे चिंताजनक स्थिति मानते हुए वल्र्ड हियरिंग डे पर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि युवा ईयरफोन, ईयरबड और हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बचें और 90 डेसीमिल से ज्यादा आवाज जहां हो रही है वहां जाने से बचें। इससे मनोरोग, दिल की बीमारी और सिर दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
तेज आवाज बना रही बहरा
चिकित्सकों के अनुसार युवा ड्राइविंग, जिम, जुंबा, क्लब आदि में इयरफोन लगाकर तेज आवाज में गाने सुनते हैं। इससे वे बिना एहसास के बहरे हो रहे हैं। तेज आवाज से कान की नसें कमजोर हो जाती हैं। इसका पता तब चलता है जब कोई इलाज नहीं बचता है। चिकित्सकों के अनुसार कान के पर्दे सिकुडऩे के मामले बढ़ रहे हैं।
हाई रिस्क ग्रुप में खतरा ज्यादा
पीडियाट्रिक विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शर्मिला रामटेके के अनुसार हमीदिया में अखिल भारतीय वाक और श्रवण संस्थान के सेंटर में 2022 में कुल 3200 बच्चों की जांच हुई। जिसमें 2200 बच्चे नॉर्मल थे। एक हजार हाई रिस्क ग्रुप के थे। इनमें सुनने की क्षमता के कमजोर होने का खतरा होता है।
बचाव के उपाय
कान, नाक व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. पारुल गोयल ने बताया कि मोबाइल का उपयोग बढ़ने के साथ ही ईयर फोन का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। कम सुनाई देने की जो समस्या बुजुर्गों में होती थी, वह युवाओं में भी हो रही है। इस समस्या से बचने के लिए यह जरूरी नहीं है कि ईयर फोन का इस्तेमाल बंद कर दें। इससे बचाव के लिए ईयर फोन का साउंड कम रखें। इसके अलावा शोर के संपर्क में लगातार न रहें। एक दिन में तीन घंटे से अधिक किसी भी चीज को तेज आवाज में न सुनें। इससे सुनने की क्षमता कम होने की संभावना बढ़ सकती है।
बच्चों को ऑनलाइन क्लास में भी ब्रेक दिलवाते रहें। अगर एक बार सुनने की क्षमता में कमी हो गई तो यह समस्या ठीक होना मुश्किल होती है। इससे बचाव ही बेहतर उपाय हैं। डाॅ. पारुल ने बताया कि अधिक समय तक ईयर फोन का इस्तेमाल करने से ईयरड्रम को स्थायी नुकसान हो सकता है। हेडफोन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें पैदा करता है, इसलिए इसका इस्तेमाल भी ज्यादा न करें।
रिपोर्ट – रोशनी बिष्ट