इसलिए कहते उत्तराखंड को देवभूमि जहाँ आज भी देवता अवतरित भक्तों को देते हैं आर्शिवाद
जोशीमठ के पांडुकेश्वर गांव में अंगारों के उपर चले देवता, दिया आर्शिवाद
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जोशीमठ नगर से 20 किमी की दूरी पर है एक सुन्दर सा अतिप्राचीन गांव पांडुकेश्वर, जिसके नाम से ही पता चलता है कि संभवतः इस गांव से पांडवों का कोई नाता अवश्य ही रहा होगा।
अलकनन्दा नदी के किनारे बसा हुआ यह गांव भगवान बद्रीविशाल के खजांची कुबेर का गांव माना जाता है, इस लिए गांव में सदा ही धन समपन्नता बनी रहती है।
गांव में आयोजित हुए गाडू मेजे में क्षेत्रपाल घंटाकर्ण के अवतारित डांगरो ने दहकते अंगारों पर चलकर क्षेत्रवासियों को खुशहाली का दिया आशीर्वाद ।
बता दें कि भगवान बद्रीनाथ जी के कपाट बंद होने के बाद उद्धव एवं खजांची कुबेर की शीतकालीन पूजायें पांडुकेश्वर में ही संपादित होती हैं।
इस अवसर पर कुबेर के डांगर अखिल पंवार , घंटाकार्ण के डांगर संजीव भंडारी , कैलाश के डांगर सत्यम राणा , मां नंदा के डांगर भगत मेहता ने ढोल – नगाड़ों की थाप पर अवतरित होकर समस्त क्षेत्रवासियों को खुशहाली का आशीर्वाद दिया।
मेले में मुख्य आकर्षण घंटाकर्ण के अवतारी पाश्वा संजीव भंडारी रहे ,घंटाकर्ण के पश्वा ने दहकते अंगारों पर चल समस्त ग्रामीणों को खुशहाली का आशीर्वाद दिया। साथ ही कुबेर के पाश्र्व अखिल पवार ने कटार पर बैठ गंगा जल से स्नान किया । वही वहीं मेले में स्थानीय महिलाओं द्वारा अपनी पारंपरिक वेशभूषा में दाकुड़ी ,चांचडी, झुमेलो लगाकर भगवान से सुख समृद्धि की मनोतियां मांगी ।
जिसके साथ ही पंडुकेश्वर में इस वर्ष के गाडु मेले का समापन हुआ ।