World Cup 2023:विश्व चैंपियन बनने के सपने के साथ टूटा करोड़ों भारतीयों का दिल , रो पड़े रोहित-सिराज, बुमराह ने बाहों में भर दिया दिलासा
वक्त कितनी तेजी से बदलता है, इसका बड़ा उदाहरण रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में देखने को मिला। आइसीसी वनडे विश्व कप का फाइनल जब शुरू होने वाला था तो उससे पहले 1.30 लाख दर्शक टीम इंडिया की नीली जर्सी पहने बुलंद हौसलों के साथ स्टेडियम की ओर बढ़ रहे थे। उन्हें पक्का यकीन था कि लगातार 10 मैच जीतने वाली भारतीय टीम यहां इतिहास रच देगी और 12 साल के लंबे अंतराल के बाद विश्व चैंपियन बनेगी।
🔹हर आंख हुई नम
क्रिकेट पंडितों और मीडिया को भी यकीन था कि टूर्नामेंट में अजेय रेकॉर्ड, घरेलू मैदान और 140 करोड़ लोगों की प्रार्थनाएं टीम इंडिया को खिताब दिलाएगी। लेकिन शाम ढलते-ढलते स्टेडियम में खामोशी पसर गई और जब रात हुई तो हजारों प्रशंसकों की आंखें नम हो गईं। टीम इंडिया ऑस्ट्रलिया से हार चुकी थी और उसका तीसरी बार विश्व चैंपियन बनने का सपना टूट चुका था।
🔹यह मायूसी कुछ दिनों तक दिलोदिमाग पर छाई रहे
इन प्रशंसकों में बड़ी संख्या बच्चों की भी थी, जो अपने हीरो रोहित शर्मा और विराट कोहली को देखते हुए बड़े हो रहे थे और उन्हें विश्व चैंपियन बनते हुए देखना चाहते थे। उनके लिए अपने हीरोज के चेहरे पर छाई मायूसी एक बड़े सदमें की तरह थी, जो शायद कुछ दिनों तक उनके दिलोदिमाग पर छाई रहे।
🔹अगला विश्व कप दक्षिण अफ्रीका में
टीम की हार से उनके माता-पिता भी दुखी थे लेकिन वे अपनी मायूसी अपने बच्चों से छिपा रहे थे और उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे। मैंने कई माता-पिता देखे, जो अपने बच्चों को दिलासा दे रहे थे। एक दस साल का बच्चा जब मायूस होकर अपने पिता के गले से लिपट गया तो उसके पिता ने कहा, कोई बात नहीं, हम अगली बार विश्व चैंपियन जरूर बनेंगे। लेकिन अगली बार के लिए चार साल तक का इंतजार करना होगा। अगला विश्व कप दक्षिण अफ्रीका में है, और तब तक ना जाने विराट और रोहित जैसे उनके हीरो टीम में रहें या ना रहें, ये कोई नहीं जानता।
🔹चैंपियन जरूर बनेंगे
इसमें कोई दो राय नहीं है कि फाइनल में भारतीय टीम की हार से करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमियों का दिल टूटा है लेकिन उन्होंने विश्व चैंपियन बनने का सपना देखना नहीं छोड़ा है और भले ही फिर इसके लिए अगले चार साल तक का इंतजार ही क्यों ना करना पड़े।ये सपने ही तो हैं, जो टीम इंडिया और करोड़ों प्रशंसकों को उम्मीद की डोर के साथ बांधे रखते हैं कि हम चैंपियन जरूर बनेंगे और क्योंकि ये सपने 1983 और 2011 विश्व कप में पूरे भी हुए हैं। हम फिर मैदान पर उतरेंगे, पूरे जज्बे के साथ खेलेंगे और विश्व चैंपियन का ताज पहनेंगे।