विकास के लिए जवाबदेही की घोषणा नहीं की तो एक बार फिर से राज्य में होगी उथलपुथल – उत्तराखण्ड कार्मिक एकता

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जवाबदेही तय नहीं होने के कारण उत्पन्न उत्तराखण्ड राज्य  के मौजूदा हालातों को  देखकर बार बार  याद आ रहे हैं तीन साल पूर्व  11 मार्च 2020 को न्याय के प्रतीक  गोलज्यू के ये  बचन – 19 सितम्बर  2018 को  विकास के लिए  जवाबदेही हेतु लगी फरियाद  पूरी नहीं हुई  तो इस राज्य  में उथलपुथल  होगी।

15 अक्टूबर 2020 में की गयी थी बैठक

गोलज्यू के इन बचनों  के बाद उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच  द्वारा सरकार से इस फरियाद को पूरा करने की घोषणा करने के लिए आग्रह किया गया और  जनजागरण  के तहत गंगोत्री के जलकलश  के साथ चितई स्थित  गोलज्यू के मन्दिर  से रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल तक एकता यात्रा निकाली गई।  2 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा शहीद स्थल  पर यात्रा का समापन किया और उन्हीं के निर्देश पर 15 अक्टूबर  2020 को शासन स्तर पर उच्च स्तरीय  बैठक हुई जिसमें विकास में बाधक हडताल के कारणो की तो समीक्षा हुई  लेकिन जवाबदेही के सवाल पर चुप्पी रही ।

परिणामस्वरुप उथल-पुथल के रुप में तीन मुख्यमंत्री बदले गये , विपक्ष और ब्यूरोक्रेसी  में भी अदलाबदली हुई , चुनाव में मुख्यमंत्री की हार हुई  और हार के बाद  फिर जीत हुई लेकिन अभी भी कोई  चेता नहीं ।

न्याय के लिए फरियाद करे तो किससे करे

हड़ताली प्रदेश का तमगा लगा ही है , संवैधानिक व्यवस्था को ताक में रखकर पीक एण्ड चूज  की नीति चरम पर है , गलत को गलत कहने के लिए  उठी आवाज  को दबा दिये जाने से हर कोई  गलत को गलत कहने का साहस नहीं जुटा पा रहा है । संवैधानिक व्यवस्था के प्रति जो सीधे जवाबदेह है वही  संवैधानिक व्यवस्था की सरासर अनदेखी कर रहे हैं । ऐसे मे आम जनमानस यह तय नहीं कर पा रहा है कि व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वालों की शिकायत  करें तो आखिर  किससे अथवा न्याय  के लिए  फरियाद  करें तो आखिर  किससे ?

 ऐसे हालातों के बीच  बार बार गोलज्यू के बचन को याद करते हुए लग रहा है कि अगर सरकार ने  तत्काल  विकास के लिए  जवाबदेही हेतु गोलज्यू के दरबार  में लगी उक्त फरियाद  को पूरा करने की घोषणा नहीं की तो एक बार फिर से राज्य में उथलपुथल  होगी ।

रिपोर्टर – रोशनी बिष्ट

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