क्यो नही मिला नरेंद्र दा को पदम् अवार्ड-विनोद नेगी

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क्यो नही मिला नरेंद्र दा को पदम् अवार्ड-विनोद नेगी-भले ही उत्तराखण्ड रत्न नरेंद्र सिंह नेगी नरेंद्र दा को संगीत नाट्य अकादमी द्वारा 12 अप्रैल को दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा पुरष्कृत किया गया हो लेकिन क्या कारण अभी तक उन्हें इस अवार्ड से नही नबाजा गया क्या नरेंद्र दा राजनीति का शिकार हो रहे है

क्या भलमानुषों को उत्तराखण्ड में इसी तरह उपेक्षित किया जायेगा जैसे योग्यता होने के बावजूद राजनीति में सतपाल महराज ओर संगीत के क्षेत्र में गढ़ रत्न नरेंद्र दा को देश की कुत्शित राजनीति का शिकार होना पड़ रहा है।
पहले जाने पदम् पुरष्कार होता क्या है।

पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक हैं। ये पुरस्कार, विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, समाज सेवा, लोक-कार्य, विज्ञान और इंजीनियरी, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल-कूद, सिविल सेवा इत्यादि के संबंध में प्रदान किए जाते हैं।

ये पुरस्कार प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर उद्घोषित किये जाते हैं तथा सामान्यतः मार्च/अप्रैल माह में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किये जाने वाले सम्मान समारोहों में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं।

 

 

पद्म विभूषण – पद्म विभूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा उच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये असैनिक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। यह सम्मान भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में की गयी थी। भारत रत्‍न के बाद यह दूसरा प्रतिष्ठित सम्मान है। पद्म विभूषण के बाद तीसरा नागरिक सम्मान पद्म भूषण है। यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाएं भी शामिल हैं।
पद्म भूषण – पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च सम्मान है, जो देश के लिये बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्मश्री का नाम लिया जा सकता है।
पद्म श्री- पद्म श्री या पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए दिया जाता है, भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार है इससे पहले क्रमश: भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण का स्थान है। इसके अग्रभाग पर, “पद्म” और “श्री” शब्द देवनागरी लिपि में अंकित रहते हैं।

 

सही मायने में नरेंद्र नेगी जिस तरह असमिया लोगो के दिल मे हजारे जी बसते है उसी तरह गढ़ रत्न नरेंद्र नेगी उत्तराखण्ड के जन जन के दिल मे उत्तराखण्ड में ही नही अपितु करोड़ो करोड़ो लोगो के दिल मे बसते है।
पहाड़ का हर व्यक्ति सुख दुख अवसाद में संगीत के माध्यम से नरेंद्र नेगी जी को अपने साथ पाता है उनके द्वारा स्व रचित तथा गया हुआ हर गीत में हर व्यक्ति अपने को पाता है इसिलिए मुंसी प्रेम चंद की तरह वह उच्च कोटि के साहित्यकार है।
उत्तराखण्ड की प्राकृतिक छठा का अदभुद चित्रांकन उनके गीतों में झलकता है उनके खुडेड गीत बरबस लोगो की आंखों में पानी की बरसात ले आता है उनके गीतों में अल्हड़पन भी खूब झलकता है उनके गीत सालो सालो तक लोगो की जुबान में बरबस आ जाते है।
आजकल उनका नया गीत युवाओ की जुबान पर खूब सिर चढ़कर बोल रहा है क्वयी सुदी त न बवलद के सनी।
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में कख जान छव तुम लोग वाला गीत लोगो को राज्य आन्दोलन में उद्देलित कर रहा था।

 

नरेंद्र दा अपने गीतों के माध्यम से उतराखण्डियत को जिंदा रखने की पूरी कोशिश करते है वह राजनीति पर भी खूब कटाक्ष करते है वह पर्यावरण प्रेमी भी है इसके लिये वह अपने गीतों के माध्यम से जनता को जाग्रित करते रहते है दशकों पहले उनके द्वारा गाया गीत न काटा तू डाल्यो न काटा वाला गीत समाज मे प्रकृति का अदादुन्द दोहन के खिलाफ एक जन जागरण फैलाना करना था।
अब कि दा तू लम्बी छुटी ले कि आजा टिहरी डूबन लगाई बेटा। बिस्तापन की पीड़ा को उकेरता है।
मुझे पहाड़ी पहाड़ी मत बोलो मैं देहरादून वाला हूँ गीत से पहाड़ के प्रति युवाओ की सोच पर बड़ा कटाक्ष नेगी दा करते है।
नशा खोरी पर उन्होंने बहुत हास्य रचना लिख डाली कैम् न बवल्या भैजी जननी कु मरी यू छू।
बडी मुश्किल से बिपरीत परिस्थितयो में अपने बच्चो को पालने के बाद मा बाप को छोड़ने वाले बच्चों पर यह गीत मा की मनोदशा को ज्ञापित करने के लिये लिखा कन लड़िक बिगडू म्यारू ब्वारी कैरिकी।
नरेंद्र दा ने खुडेड गीत खूब लिखे जिनमे उन्हें महारथ हाजिर है।
सड़क अभाव में ससुराल भेजने के लिये मा द्वारा सुबह सुबह लड़की को उठाया जाता था बिजी जा दी लाटी पैट दूर जा ससुर बांद् स्यून्द पाटी नरेंद्र दा ने कोई ऐसा जहां तक वह नही पहुचे। उत्तराखण्ड की मातृ शक्तियों की कठिन दिन चर्या पर उन्होंने यह रचना भी लिखी।
कु ढुंगो नि पूज मिली कै डांडा नि गों मि क्व खैर नि खाइ मिल ।
यह गीत भी उनकी बेदना को उकेरता है
सारया बसगाल बुन म ह्यून्द कुटन म।
सुबह सुबह पहाड़ में जब सूर्य उदय होता है उसका इतना शानदार विवरण उन्होंने किया जिसकी अन्य किसी से कल्पना ही नही की जा सकती इसमे उनके छाया कबि की छाप भी साफ दिखायी देती है।
चम चम कु घाम डंडयो म।
नरेंद्र दा ओर उत्तराखण्ड एक दूसरे के पूरक है जिस पहाड़ी राज्य की परिकल्पना की गयी थी वास्तव में नरेंद्र दा के बगैर उस राज्य की परिकल्पना करना सरासर बेमानी होगा।

 

वह हम सब के सुख दुख के साथी है। लेकिन उत्तराखण्ड के भर्स्ट राजनेताओं की राजनीति उनके पदम् पुरष्कार में सवसे बडी बाधा है उन्होंने नोम छि नारायणा तथा स्पोडा स्पोड गीत गाकर दोनो राजनैतिक पार्टियों कांग्रेस और भजपा को अपने खिलाफ कर दिया लेकिन राज्य आन्दोलन में बडी भूमिका अदा करने वाले नरेंद्र दा ने अपनी सामीजक जिम्मेदारी को निभाया है भले ही यदि वह चारण भाट की तरह भर्स्ट नेताओ का गुणगान करते तो उन्हें यह पुरष्कार अवश्य मिल चुका होता और यदि उत्तराखण्ड में किसी का सबसे बड़ा हक किसी का बनता है नरेंद्र दा का ही पहला हक बनता है उम्मीद है नरेंद्र मोदी जी नरेंद्र नेगी जी को इस पुरुष्कार से अवश्य समान्नित करेंगे यह उत्तराखण्ड की करोड़ों जनता की दिली इच्छा है उनके नायक नरेंद्र दा को पदम् पुरष्कार से सम्मानित करे।

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