Uttrakhand News :उत्तराखंड हाई कोर्ट का आदेश वन दारोगा के 105 पदों पर सीधी भर्ती, पदोन्नति से भरे जाएंगे 211 पद

ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड में पदोन्नति के जरिए वन दरोगा बनने का इंतजार कर रहे वन आरक्षियों के लिए खुशखबरी है. अब वन दरोगा के खाली 316 पदों में से 211 पद पदोन्नति से भरे जाएंगे. जबकि, बाकी बचे 105 पदों पर सीधी भर्ती होगी.

💠यह आदेश नैनीताल हाईकोर्ट ने दिया है.

नैनीतालः उत्तराखंड में वन दरोगा भर्ती में पदोन्नति का लाभ दिए जाने को लेकर दायर याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को वन दरोगा के रिक्त 316 पदों में से 105 पदों पर सीधी भर्ती और 211 पदों पर पदोन्नति से नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट के इस आदेश के बाद वन आरक्षियों के वन दरोगा बनने और सीधी भर्ती का रास्ता साफ हो गया है.

यह भी पढ़ें 👉  Uttrakhand News:उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में सुविधाओं और सेवाओं के विस्तार को सीमांत क्षेत्र विकास परिषद का किया जाएगा गठन:मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

💠वन दरोगा के 316 रिक्त पदों को सीधी भर्ती के माध्यम भर देना चाहती है. 

दरअसल, वन आरक्षी/वन बीट अधिकारी संघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन ने नैनीताल हाईकोर्ट में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार वन विभाग में वन दरोगा के 316 रिक्त पदों को सीधी भर्ती के माध्यम भर देना चाहती है. जिससे लंबे समय से वन आरक्षी के पद पर ही काम कर रहे कर्मियों की पदोन्नति वन दरोगा के पद पर होने की संभावना न के बराबर रह जाएगी.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे पहले वन दरोगा के पद 100 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाते थे. सरकार ने साल 2018 मे नियमावली में परिवर्तन कर इस पद को सीधे भर्ती से भरने का निर्णय लिया. जिससे कि पूर्व में से कार्य कर रहे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन होने लगा.

यह भी पढ़ें 👉  Uttrakhand News:उत्तराखंड में शिक्षा विभाग जल्द ही बंपर भर्ती अभियान की करने जा रहा है घोषणा,स्थानीय लोगों को मिलेगी वरीयता

वहीं, याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस भर्ती प्रक्रिया में पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को भी इस भर्ती प्रक्रिया में प्रतिभाग करने का अवसर दिया जाए. जिसको सरकार ने बदलकर सीधे भर्ती करने का निर्णय लिया है. 

💠मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई