ख़बर शेयर करें -

हरिद्वार। आयुष विभाग उत्तराखंड के तत्वावधान में राहीमोटल, हरिद्वार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी हरिद्वार तथा जिला पर्यटन अधिकारी हरिद्वार के सामंजस्य से किया गया। संगोष्ठी में योग, प्राकृतिक चिकित्सा, वेलनेस, पंचकर्म सेंटर संचालक एवं होमस्टे व होटल व्यवसायियों के साथ उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू की गई योग नीति एवं आयुष नीति पर विस्तृत चर्चा की गई। इस अवसर पर डॉ. घनेन्द्र वशिष्ठ, नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय आयुष मिशन हरिद्वार ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया और सभी प्रतिभागियों से अपने-अपने केंद्रों का पंजीकरण एवं एनरोलमेंट कराने, राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने तथा अपने अनुभव और सुझाव साझा करके योग एवं आयुष के क्षेत्र में उत्तराखंड को सशक्त बनाने की अपील की। प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान जिला पर्यटन अधिकारी श्री सुशील नौटियाल एवं अपर जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. अतुल नेगी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. स्वास्तिक सुरेश, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, हरिद्वार ने अपने संदेश के माध्यम से कहा कि “आयुष और पर्यटन के समन्वय से न केवल उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की परंपराओं को भी वैश्विक पहचान प्राप्त होगी। हमें अपने स्थानीय वेलनेस एवं पंचकर्म केंद्रों को उच्च गुणवत्ता मानकों पर विकसित करना होगा ताकि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को यहां की चिकित्सा पद्धतियों का लाभ मिल सके।” वहीं डॉ. अवनीश उपाध्याय, विशेषज्ञ, आयुष मिशन ने भी अपना संदेश प्रेषित करते हुए कहा कि “राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए सभी संचालकों को अपनी सरकार पोर्टल पर पंजीकरण अवश्य कराना चाहिए। इससे न केवल योजनाओं के लाभ सुगमता से उपलब्ध होंगे, बल्कि केंद्रों की विश्वसनीयता और पारदर्शिता भी बढ़ेगी। आयुष क्षेत्र में शोध, नवाचार और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर हम उत्तराखंड को वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में और मजबूत कर सकते हैं।” संगोष्ठी में डॉ. मनोज उत्प्रेती, डॉ. संजीव शर्मा, श्री रजनीश योगी, श्रीमती प्रतिभा सैनी, श्रीमती प्राची गुप्ता, डॉ. अभिषेक, श्री विपिन गोलियान सहित अनेक प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड को योग एवं आयुष के क्षेत्र में और अधिक सशक्त एवं सुदृढ़ बनाना था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *