Uttrakhand News :चारधाम यात्रा के लिए अगले वर्ष से बड़ा बदलाव किया जा सकता है,अगले वर्ष से हरिद्वार के बैरागी कैंप से शुरू हो सकती हैं चारधाम यात्रा

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चारधाम यात्रा के लिए अगले वर्ष से बड़ा बदलाव किया जा सकता है। यातायात निदेशालय चारधाम यात्रा को हरिद्वार के बैरागी कैंप से शुरू करने पर विचार कर रहा है। यहीं पर स्टॉल लगाकर यात्रियों के पंजीकरण और अन्य जानकारियां प्रदान की जाएंगी।

माना जा रहा है कि इससे ऋषिकेश और इसके आसपास के क्षेत्रों में वाहनों का दबाव कम हो सकेगा। इसके अलावा भी तकनीक का भरपूर प्रयोग करने पर विचार किया जा रहा है।

दरअसल, चारधाम यात्रा की शुरुआत अब भी हरिद्वार से ही होती है। लेकिन, यहां पर कोई ऐसा विशेष स्थान नहीं है जहां इसका मुहाना बनाया जा सके। यानी एक जगह पर लोग आएं और सिंगल विंडो की तरह उस स्थान को इस्तेमाल करें। इसके लिए यातायात निदेशालय ने अब बैरागी कैंप को चुना है। बैरागी कैंप के मैदान में उतनी क्षमता है कि वहां पर एक साथ सैकड़ों वाहन आकर खड़े हो सकते हैं। यहां पुलिस और प्रशासन 100 से ज्यादा स्टॉल लगाएगा। इन पर लोगों को यात्रा के नियमों, पंजीकरण और आगे के रास्तों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यही नहीं इस स्थान पर आसानी से पंजीकरण आदि चेक भी किया जा सकता है।

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आईजी चारधाम अरुण मोहन जोशी ने बताया कि अभी इस व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों से भी वार्ता की जाएगी। बैरागी कैंप को इस तरह से इस्तेमाल किया जाएगा कि यह एक फिल्टर की तरह काम करे। यानी यहां से छंटनी करने के बाद ही वाहनों को आगे भेजा जाएगा। इससे आगे के पड़ावों पर होने वाली अव्यवस्थाओं से भी बचा जा सकता है। सीधे ऋषिकेश पहुंचकर यात्रा शुरू करने वाले लोगों के लिए भी यही व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा दून और आसपास के अन्य रूट पर भी इस तरह की व्यवस्था को किया जाएगा। अभी नए वर्ष की यात्रा शुरू होने में छह महीने से अधिक का वक्त है तब तक होमवर्क किया जा रहा है।

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💠12 साल पहले कांवड़ यात्रा के लिए मुफीद स्थान बना था कैंप

वर्ष 2012 से पहले हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के लिए भी कोई उपयुक्त स्थान नहीं था जहां एक साथ कांवड़िए पहुंचें और अपनी यात्रा को यहां से शुरू करें। इसके लिए उस वक्त एसएसपी रहे अरुण मोहन जोशी ने ही बैरागी कैंप को कांवड़ यात्रा के प्रस्थान स्थान के रूप में चुना था। इसके बाद से बैरागी कैंप से ही यात्रा की शुरुआत की जाने लगी। यह व्यवस्था 12 साल पहली व्यवस्था से कहीं बेहतर है। यही कारण है कि साल दर साल कांवड़ियों की संख्या बढ़ी तो इस स्थान से बड़े प्लान बनाकर यात्रा को इस स्थान से चालाया जाने लगा।

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