Uttrakhand News :भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से देवभूमि भी जुड़ गई ,उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से बदरी गाय का दो क्विंटल घी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भेजा गया

ख़बर शेयर करें -

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले भगवान श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से देवभूमि भी जुड़ गई है। उत्तराखंड की 28 नदियों के जल से रामलला का जलाभिषेक होने जा रहा है, तो यहां के पहाड़ों की जड़ी-बूटियों से निर्मित हवन सामग्री से हवन यज्ञ में होगा।

💠यही नहीं, देवभूमि की बदरी गाय के घी का उपयोग हवन यज्ञ में तो होगा ही, इससे रामलला के मंदिर के दीये भी दैदीप्यमान होंगे।

इसके लिए उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से बदरी गाय का दो क्विंटल घी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भेजा गया है। औषधीय गुणों से भरपूर बदरी गाय के घी को अत्यधिक ओज बढ़ाने वाला माना जाता है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर समूची देवभूमि में वातावरण पूरी तरह राममय हो चुका है। इसके साथ ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह से उत्तराखंड को भी जोड़ा गया है।

यह भी पढ़ें 👉  Uttrakhand News :यहा तेंदुए ने नौ वर्षीय एक बच्ची पर किया हमला,मौत

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री अजेय बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर समेत अन्य पर्वतीय जिलों से बदरी गाय का दो क्विंटल घी एकत्रित कर अयोध्या भेजा गया है। प्राण प्रतिष्ठा, हवन-यज्ञ में बदरी गाय के घी का विशेष महात्म्य है। उन्होंने बताया कि इस घी से ही रामलला के मंदिर के दीपक भी प्रकाशमान होंगे।

उन्होंने जानकारी दी कि देवभूमि से निकलने वाली गंगा, यमुना, सरयू समेत 28 नदियों का पवित्र जल जलाभिषेक के लिए भेजा गया है। इसके अलावा बागेश्वर से सरयू नदी के जल से भरा 10 हजार लीटर का टैंक भी अलग से अयोध्या पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि देवभूमि जड़ी-बूटियों का विपुल भंडार है। इन्हीं में से कुछ चु¨नदा जड़ी-बूटियों से 51 किलोग्राम हवन सामग्री तैयार कराकर अयोध्या भेजी जा चुकी है। इससे वहां हवन-यज्ञ होगा।

यह भी पढ़ें 👉  Uttrakhand News :देहरादून और पिथौरागढ़ हवाई सेवा का अब बदला शेड्यूल,जानिए नया शेड्यूल

प्राण प्रतिष्ठा के लिए सर्वोत्तम माना गया है बदरी गाय का घी : आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार बदरी गाय का घी औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही अत्यधिक ओज बढ़ाने वाला है।

माना जाता है कि इसमें स्वर्ण भस्म तक पाई जाती है। वह बताते हैं कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के आश्रमों में यही गाय पाली जाती रही है, जिसे नंदिनी भी कहा जाता है। शास्त्रों व पुराणों में बदरी गाय के घी का उल्लेख प्रमुखता से मिलता है। इसका गोमूत्र, गोबर व घी अनंत गुणों वाला माना गया है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए इसे सर्वोत्तम माना गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *