Uttrakhand News:उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े से दिव्यांग कोटे की नौकरियां हासिल करने के मामले में आरोपी शिक्षकों पर मुकदमे होंगे दर्ज,दर्ज होंगी FIR

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उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े से दिव्यांग कोटे की नौकरियां हासिल करने के मामले में आरोपी शिक्षकों पर मुकदमे दर्ज होंगे। इस मामले में संबंधित अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया है।

वे कार्रवाई की रिपोर्ट दिव्यांगजन कमिश्नर कोर्ट के अलावा शिक्षा निदेशालय को भी भेजेंगे।

इन शिक्षकों के खिलाफ दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इसमें प्रावधान है कि धोखाधड़ी से दिव्यांग कोटे का लाभ लेने वाले लोगों को दो वर्ष तक के कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है। शिक्षा विभाग में 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगों के लिए आरक्षित पदों पर काफी लोगों ने धोखाधड़ी से नौकरी हासिल की। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ.मुकुल कुमार सती ने दोनों मंडलों के अपर निदेशक (माध्यमिक) को अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रिपोर्ट दिव्यांगजन कमिश्नर कोर्ट को भेजने के आदेश दिए हैं।

🌸दिव्यांगता का मानक

बेंचमार्क दिव्यांगता की श्रेणी में वह व्यक्ति आते हैं, जिन्हें राज्य चिकित्सा परिषद के प्राधिकारी की ओर प्रमाणित 21 तरह की दिव्यांगताओं में से कोई एक है। साथ ही उनकी विकलांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक है।

🌸फर्जी प्रमाणपत्रों के मामले में अफसरों की भूमिका संदिग्ध

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शिक्षा विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों से नौकरी के मामले में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की भूमिका संदिग्ध है। हालांकि ये सभी नियुक्तियां अलग-अलग समय पर हुई हैं और इनमें कुछ नियुक्तियां तो राज्य बनने से पहले हुई थीं, ऐसे में सवालों के घेरे में कई अफसर आ रहे हैं। फिलहाल आरोपी शिक्षकों के जवाब का इंतजार है, जिन पर धोखाधड़ी कर नौकरी हासिल करने का आरोप है और विभाग ने इन्हें जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

अभी तक मामले में सिर्फ ऐसे शिक्षकों को लेकर सवाल उठ रहे थे, अब इन शिक्षकों ने किस तरह से दिव्यांग प्रमाण पत्र हासिल किए और कैसे इनकी जांच हुए बगैर नियुक्तियां पा लीं, इसे लेकर भी शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठ रहे हैं।

जिन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी हुए हैं, उन्हें अपने प्रमाण पत्र देने के साथ ही नोटिस का जवाब भी देना है। ऐसे में उनके जवाब पर यह तय होगा कि वह अपने जवाब में खुद को किस तरह से सही साबित करते हैं और उन्हें मिली नौकरी में अगर गलती हुई है तो किस स्तर पर यह गलतियां की गई। क्योंकि अगर ऐसे शिक्षक बेंचमार्ग दिव्यांगता की श्रेणी में नहीं आते हैं और नियुक्ति के वक्त उन्होंने बेंचमार्क दिव्यांगता का प्रमाण पत्र दिया है तो इसे जारी करने वाले वाले जिलों के मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों की भूमिका भी संदेह के दायरे में होगी। साथ ही तत्कालीन नियुक्ति अधिकारी और नियुक्ति के लिए गठित बोर्ड के स्तर पर प्रमाण पत्रों की जांच में किस तरह से चूक हुई।

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हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के बाद शिक्षा विभाग में अपात्रों को दिव्यांग कोटे से शिक्षक नियुक्त करने के मामले में शिक्षा विभाग को आरोपी शिक्षकों के नोटिस का इंतजार है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ.मुकुल कुमार सती ने कहा कि जिन शिक्षकों को नोटिस दिए गए हैं, उनके जवाब के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

🌸हर स्तर पर हुई नियुक्तियां

बेंचमार्क दिव्यांग के लिए आरक्षित पदों पर हुई नियुक्तियां प्राइमरी स्कूलों से लेकर माध्यमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक, एलटी, प्रवक्ता और प्रधानाचार्य शामिल हैं। अगर शिक्षा विभाग में लंबे समय से ऐसा हो रहा है तो सवाल दूसरे विभागों और अन्य पदों पर दिव्यांग कोटे में हुई भर्तियों में भी इस तरह की गड़बड़ी का अंदेशा है।

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