उत्तराखंड हाई कोर्ट बड़ा आदेश सरकार कल 10 बजे तक इस वरिस्ठ आईएसएस अधिकारी दे चार्ज

0
ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने तीन बार कैट के आदेश होने के बाद वरिस्ठ आईएसएस अधिकारी राजीव भरतरी को पीसीसीएफ का चार्ज नही दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कोर्ट की खण्डपीठ ने सरकार को निर्देश दिए है कि तत्काल कल 10 बजे तक उन्हें पीसीसीएफ का चार्ज दें।

 

 

 

 

 

कोर्ट ने विपक्षी से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। पूर्व में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण कैट इलाहाबाद की सर्किट बैंच ने सरकार व पीसीसीएफ विनोद सिंघल की पुनर्विचार याचिकाओ को खारिज करते हुए प्रमुख वन संरक्षक पद पर राजीव भरतरी की नियुक्ति के अपने 24 फरवरी के आदेश को सही ठहराया है । सरकार ने 2021 में प्रमुख वन संरक्षक पद से राजीव भरतरी को हटाकर उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया था ।

 

 

 

 

मामले के अनुसार कैट के न्यायधीश ओम प्रकाश की एकलपीठ ने 24 फरवरी 2023 को पी सी सी एफ पद से राजीव भरतरी को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था । जिसके खिलाफ सरकार व पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर कर कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की तैनाती सरकार का विशेषाधिकार है । इसलिए सरकार के आदेश को बहाल किया जाए । किन्तु कैट ने सरकार व सिंघल के तर्कों को अस्वीकार करते हुए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी थी ।

 

 

 

पूर्व में उच्च न्यायलय नैनीताल की खण्डपीठ ने राजवी भरतरी की याचिका में सुनवाई करते हुए उनसे कहा था कि वे अपने स्थान्तरण आदेश को कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल)इलाहाबाद में चुनोती दें। कैट इस मामले की शीघ्र सुनवाई करें। उच्च न्यायलय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नवनियुक्त विभागाध्यक्ष कोई बड़ा निर्णय नही लें।

 

 

 

 

मामले के अनुसार आई. एफ. एस. अधिकारी राजीव भरतरी ने कहा है कि वे राज्य के सबसे वरिष्ठ भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं । किंतु सरकार ने 25 नवम्बर 2021 को उनका स्थान्तरण प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था। जिसको उन्होंने संविधान के खिलाफ माना। इस सम्बंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए । लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों की सुनवाई नहीं की । राजीव भरतरी ने कहा कि उनका स्थान्तरण राजनीतिक कारणों से किया गया है जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है । उल्लेखनीय है कि पी .सी. सी. एफ. राजीव भरतरी के स्थान्तरण के पीछे एक मुख्य कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर हो रहे अवैध निर्माण व इन निर्माणों की राजीव भरतरी द्वारा की जा रही । जांच को प्रभावित करना भी माना जा रहा था । आरोप है कि तत्कालीन वन मंत्री एक अधिकारी के समर्थन में राजीव भरतरी को पी .सी. सी. एफ. पद व कार्बेट पार्क में हो रहे निर्माण कार्यों की जांच से हटाना चाहते थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *