सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र संकाय विभाग में शिक्षण शास्त्र और पाठ योजना विषय पर दो दिवसीय वर्कशॉप का हुआ आगाज

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सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि अध्यापन कोई स्थिर व्यवसाय नहीं है बल्कि प्रौद्योगिकी, सदैव बदलते ज्ञान, वैश्विक अर्थशास्त्र के दबावों और सामाजिक दबावों से प्रभावित होकर बदलता रहता है। अध्यापन के तरीकों और कौशलों का लगातार अद्यतन और विकास की जरूरत है। इसलिये शिक्षकों को समय के बदलाव के अनुरूप क्षमताओं और कौशलों में पारंगत होना जरूरी है। 

यह बात शनिवार को शिक्षा संकाय सभागार में आजादी के अमृत महोत्सव, जी-20 के अंतर्गत आयोजित शिक्षण शास्त्र और पाठ योजना  विषय पर आयोजित दो दिवसीय वर्कशॉप के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही।  उन्होंने कहा कि प्रत्येक विषय की पाठ योजना अलग होती है। कार्यशाला की संयोजक व विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दो दिवसीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कक्षा में शिक्षण की क्रियाओं तथा सहायक सामग्री की पूर्ण जानकारी कराना। निर्धारित पाठ्य वस्तु के सभी तत्वों का विवेचन करना। प्रस्तुतीकरण के क्रम तथा पाठ्य वस्तु के रूप में निश्चितता की जानकारी कराना है।

शिक्षा संकाय के प्राध्यापक डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि शिक्षकों को पाठ योजना और शिक्षण शास्त्र की गहन समझ और जानकारी होनी चाहिए। ताकि पूरी शिक्षा प्रणाली को नई शिक्षा नीति के अनुरूप मानकीकृत बनाया जा सके। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसएसजे परिसर के निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि विद्यालयों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष पाठ योजना की आवश्यकता है। शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास इस तरह से आयोजित कार्यशाला के माध्यम से करा सकते है।

इससे पहले शिक्षा संकाय के सभागार में कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट, परिसर निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट व शिक्षा संकाय अध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने  दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। 

कार्यक्रम से पूर्व दीप प्रज्ज्वलित कर अतिथियों का बैज अलंकरण कर स्वागत किया गया।कार्यशाला की समन्वयक डॉ संगीता पवार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षण शास्त्र पाठ योजना वर्कशॉप के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज पाठ योजना एक निश्चित नहीं होने से तकनीकी तौर प्रशिक्षु शिक्षक दुविधा में रहते है।

 

•यह लोग रहे मौजूद 

इस कार्यशाला में प्रो अमिता शुक्ला, प्रो जीएस नयाल, डॉ टीसी पांडेय, डॉ रीना उनियाल तिवारी, डॉ डीएस फर्स्वाण, सोबन सिंह जीना शिक्षा संकाय के प्राध्यापक डॉ नीलम, डॉ भास्कर चौधरी, डॉ ममता असवाल, डॉ देवेंद्र चम्याल,डॉ ममता कांडपाल, डॉ पूजा, सुश्री अंकिता, मनोज कार्की, मनोज कुमार, सुश्री विनीत लाल, सरोज जोशी, ललिता रावल, डॉ संदीप पांडे, मंजरी तिवारी एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यलयों से आये प्राध्यापक, शोधार्थी, बीएड और एमएड छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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