तहसील वापसी के आन्दोलन की अनदेखी करना प्रदेश सरकार की उदासीनता का प्रमाण-कर्नाटक
*तहसील वापसी के आन्दोलन की अनदेखी करना प्रदेश सरकार की उदासीनता का प्रमाण-कर्नाटक*
अल्मोड़ा-आज प्रैस को जारी एक बयान में पूर्व दर्जा मंत्री (कैबिनेट स्तर) एवं उत्तराखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि व्यापार मंडल एवं स्थानीय जनता लगातार तहसील को पुनः नगर में उसकी पुरानी जगह में वापस लाने की मांग को लेकर आन्दोलनरत है,
लेकिन प्रदेश सरकार लगातार इस मामले की अनदेखी कर रही है जो कि प्रदेश सरकार की जनता के प्रति उदासीनता को प्रदर्शित करता है।उन्होंने कहा कि लगातार मांग उठने के बावजूद प्रशासन झूठे आश्वासन और कोरे वादों के अलावा कुछ नहीं कर रहा है।तमाम प्रकार के हस्ताक्षर अभियान,धरना प्रदर्शन,मशाल जुलूस,ज्ञापनों,समर्थन पत्रों के माध्यमों से प्रशासन को लगातार आम जनमानस को तहसील के दूर जाने पर हो रही परेशानियों से अवगत करवाने के बाद भी जनता की मांग की अनदेखी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए बड़ी शर्म की बात है कि आज जनता को सरकार के इस तुगलकी फरमान से परेशान होकर धरना -प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।आम जनता ,पेंशनर्स,वरिष्ठ नागरिकों को नगर से पांच किलोमीटर दूर तहसील,ट्रेजरी और रजिस्ट्रार कार्यालय जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जो जनता के प्रति सरकार की उदासीनता का स्पष्ट प्रमाण है। श्री कर्नाटक ने कहा कि कांग्रेस संगठन व्यापारियों और आम जनता के साथ हैं। उन्होंने कहा कि तहसील को नगर के मध्य में ही होना चाहिए क्योंकि जनता के अधिकारियों को जनता के बीच मे होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कलक्ट्रेट सहित तहसील को नगर से पांच किलोमीटर दूर करने से पहले वरिष्ठ नागरिकों/बुजुर्गों तक के बारे में नहीं सोचा।आज आलम यह है कि पेन्शनर्स को अपना जीवित प्रमाण पत्र देने के लिए पाण्डेखोला से दूर जाना पड़ रहा है जहां आने-जाने के लिए सरकार द्वारा इन पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला गया है साथ ही सम्मानित वरिष्ठजनों का पूरा दिन खराब होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आमजन को यदि अपना एक शपथ पत्र भी बनवाना है तो उसके लिए भी पाण्डेखोला से दूर तहसील कार्यालय जाना पड़ रहा है ।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने पाण्डेखोला कलक्ट्रेट तक मात्र एक मिनी बस लगाकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली लेकिन इससे जनता की समस्याओं का समाधान होने वाला नहीं है। तहसील के पाण्डेखोला से दूर स्थानांतरित होने से जहां आम जनता परेशान हैं वहीं इसका नगर के व्यापार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अभी व्यापारी कोरोना काल में हुए बेहद आर्थिक नुकसान से भी नहीं उबर पाये थे और ऐसे में कलेक्ट्रेट/तहसील को नगर से स्थानांतरित कर देना बेहद असंवेदनशीलता का प्रमाण है। उन्होंने राज्य सरकार से कड़े शब्दों में मांग की है कि तहसील को पुनः उसकी पुरानी जगह मल्ला महल में स्थानांतरित किया जाए।