पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान

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चयन प्रोन्नत वेतनमान को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर लगाये सवालिया निशान

 

उत्तराखंड राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच द्वारा 12 वर्षों से चयन प्रोन्नत वेतनमान नहीं दिये जाने से शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हुए संघर्ष मंच के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर फूलोरिया ने कहा कि जब सब शिक्षक माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में वाद दाखिल करेंगे तो तभी चयन प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत किए जायेंगे, माननीय उच्च न्यायालय में अपनी नौकरी के डर से चयन प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत करते जा रहे हैं अधिकारी इसका ताजा उदाहरण कुमाऊं मंडल के एडी लीलीधर ब्यास जी के योजित रिट याचिका पर चयन प्रोन्नत वेतनमान अबिलम्ब मुख्य शिक्षा अधिकारी को जारी आदेश से सपष्ट होता है,जो शिक्षक विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध नहीं जा रहें हैं, उनके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास कोई शासनादेश नहीं है,जो माननीय उच्च न्यायालय जा रहें हैं उन शिक्षकों के लिए शासनादेश रातों रात कहा से आ रहे हैं,यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है, अधिकारी आखिर न्याय कब करेंगे, सामान्य शिक्षकों के लिए वित्तीय संकट कहकर शासन को भी गुमराह किया जाना कदापि उचित नहीं है,यह समायोजित पदोन्नन शिक्षकों का अपमान ही नहीं सरासर नाइंसाफी भी है,और उतराखण्ड सरकार का भी अपमान हो रहा है वित्त सचिव की टेबल पर फाइल संख्या 09 07 20 धूल फांक रही है, यदि विभागीय अधिकारियों ने शासन में सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई तो चयन प्रोन्नत वेतनमान से वंचित शिक्षक करेंगे जून माह में आमरण अनशन जिसकी जिम्मेदारी व जवाबदेही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की व्यक्तिगत होगी।

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