सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2008 से पहले सेवा में आए अर्ध सैनिक बलों के वेतन को प्रभावित करने वाला अहम फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2008 से पहले सेवा में आए अर्ध सैनिक बलों के वेतन को प्रभावित करने वाला अहम फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की अपीलें आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के उस अंश को रद कर दिया है जिसमें हाई कोर्ट ने कर्मचारियों को मोडीफाइड एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) योजना के तहत वित्तीय लाभ एक जनवरी 2006 से देने और कर्मचारियों को अगले पदोन्नत पद के बराबर वित्तीय लाभ देने का आदेश दिया था।
सितंबर 2008 से पहले के कर्मचारियों पर पड़ेगा प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस आदेश को रद करते हुए फैसले में कहा है कि एमएसीपी योजना एक सितंबर 2008 से प्रभावी मानी जाएगी। साथ ही कहा है कि एमएसीपी योजना के मुताबिक कर्मचारी अगले पे ग्रेड के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन के अधिकारी होंगे।
यानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक कर्मचारियों को अगले पदोन्नत पद के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन नहीं मिलेगा बल्कि सेंट्रल सिविल सर्विस रिवाइज्ड पे रूल 2008 के मुताबिक अगले ग्रेड पे के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सितंबर 2008 से पहले सेवा में आए अर्ध सैनिक बल के कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ेगा। जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं उनकी पेंशन पर प्रभाव पड़ेगा।
हाईकोर्ट ने दिया था यह आदेश
हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक जनवरी 2006 से लाभ मिलते जो कि अब 2008 से मिलेंगे। यह अहम फैसला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट व देश के विभिन्न हाई कोटरें के फैसलों के खिलाफ दाखिल केंद्र सरकार की करीब 150 अपीलें निपटाते हुए सुनाया है। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बहस एडीशनल सालिसिटर जनरल माधवी दीवान ने की थी।
यह था विवाद का मुद्दा मामले में विवाद का मुद्दा एमएसीपी स्कीम को लागू करने की तिथि को लेकर था। इसके अलावा यह भी विवाद था कि कर्मचारियों के अगले प्रमोशनल पद का पे स्केल मिलेगा या अगले ग्रेड पे के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्थिति साफ कर दी है। पद खाली न होने के कारण कई बार कर्मचारियों को पदोन्नति का मौका नहीं मिलता ऐसे कर्मचारियों को वित्तीय इनसेन्टिव देने के लिए पहले एसीपी (एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन) योजना लागू थी जिसे छठे वेतन आयोग के बाद बदल कर एमएसीपी कर दिया गया।
एसीपी योजना में कर्मचारियों को 12 और 24 साल की नौकरी के बाद वित्तीय इनसेंटिव मिलता था। जिसमें अगले प्रोमोशनल पद का वित्तीय अपग्रेडेशन दिया जाता था
लेकिन एमएसीपी योजना में 10, 20 और 30 वर्ष की नौकरी पर वित्तीय इनसेंटिव देने की बात है। साथ ही एमएसीपी योजना में वित्तीय लाभ अगले प्रमोशनल पद का नहीं दिया जाता बल्कि अगले ग्रेड पे का दिया जाता है।
बीएसएफ के सेवानिवृत्त कर्मचारी का मुख्य मामला
इस केस में लीडिंग मामला बीएसएफ के सेवानिवृत्त कर्मचारी का था जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनवरी 2006 से एमएसीपी योजना का लाभ देने का का आदेश दिया था जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। केंद्र ने हाई कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए दलील दी थी कि एमएसीपी योजना का लाभ 2006 से नहीं दिया जा सकता। सरकार ने योजना को सितंबर 2008 से लागू करने का नीतिगत फैसला लिया है। हाई कोर्ट के फैसले से सरकार पर आर्थिक भार पड़ेगा।