पिछले 6 वर्षों से नहीं सुनी सरकार ने तो ग्रमीणों ने खुद ही श्रमदान से बनाना शुरू किया पुल
जब शासन प्रशासन ने गदेरे में पुल निर्माण को लेकर मूंह मोड़ा तो खुद अरोशी गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान कर कल्पगंगा पर लकड़ी का कच्चा वैकल्पिक पुल बनाया
,दरअसल ग्रामीण यहाँ पर लम्बे समय से पुल की मांग करते आ रहे है ,पिछले 6 वर्षो से ग्रामीण हर वर्ष यहाँ पर लकड़ी का वैकल्पिक कच्चा पुल बनाते आये है हर वर्ष बारिश के समय कल्प गंगा का ये पुल बह जाता है ,जिसके चलते इस दो गांव के लाइफ लाइन पुल कल्प गंगा के उफान में समा जाता है
हालांकि इस साल पुल तो नही बहा लेकिन पुल की लकड़ी सड़ गई थी जिससे किसी अनहोनी की अंदेशा देखते हुए ग्रामीणों ने श्रमदान कर लकड़ी का कच्चा पूल बनाया, इन दो गांव अरोशी और गवाना गावों की 45 परिवार रहते हैं 200 से अधिक की आबादी है हाल ही में इस गांव का पैदल मार्ग भी भुसखन से टूट गया था यहाँ के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे है
ग्रामीण प्रेम सिंह, अजय सिंह, धर्म सिंह, विक्रम सिंह, अब्बल सिंह, श्रीकांत सिंह, का कहना है कि कल्पगंगा पर लकड़ कच्चा पुल हम सभी ग्रमीणों ने बनाया है दरअसल इस पुल की लकड़ी सड़ चुकी थी पिछले6 साल से वे श्रमदन कर पुल बना रहे है कई बार मांग की गई है
पर अभी तक पुल नही बन पाया ,हलाकि यहाँ पर मोटर पुल बनना प्रस्तावित है अभी उस पर काम शुरू नही हो पाया ,वर्तमान में यहाँ के पैदल रास्ते भी भूस्खलन से टूट चुके है लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे है