मृत्युदंड अपरिवर्तनीय है इसलिए अभियुक्त को राहत संबंधी परिस्थितियों को लेकर हर प्रकार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए–सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मृत्युदंड अपरिवर्तनीय है इसलिए अभियुक्त को राहत संबंधी परिस्थितियों को लेकर हर प्रकार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए ताकि अदालत यह निर्णय ले सके कि संबंधित मामले में मृत्युदंड वांछित नहीं है।
जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने संभावित राहत देने वाली परिस्थितियों के संबंध में दिशा-निर्देशों पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।
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उम्र कैद की सजा देने की होनी चाहिए आजादी
पीठ ने कहा कि अदालतें उचित रूप से राहत के लिए सजा देने से पहले मामले को स्थगित कर सकती हैं। जस्टिस एसआर भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया भी पीठ के सदस्य थे। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अगर अपराध सिद्धांत (थ्योरी) के आधार पर अदालत इस नतीजे पर पहुंचती है कि मौत की सजा जरूरी नहीं है तो उसे उसी दिन उम्र कैद की सजा देने की आजादी होनी चाहिए। वहीं अगर मामले में मौत की सजा के संबंध में कुछ अतिरिक्त बातचीत की आवश्यकता है, तो उसको लेकर कोशिश की जानी चाहिए।
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न्याय मित्र के रूप में नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता7 सिद्धार्थ दवे ने कोर्ट के सामने रखा कि शीर्ष अदालत के पहले के आदेश के अनुसार गंभीरता कम करने वाली परिस्थितियां को तैयार किया जाना है।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि उन अपराधों के लिए कम करने वाली परिस्थितियों पर विचार किया जाए जिनमें मौत की सजा की आशंका हो। Doval Met Russian NSA: मास्को में रूसी समकक्ष से मिले अजीत डोभाल, द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों को लेकर हुई चर्चा
साथ ही कहा गया था कि मौत की सजा वाले अपराध के लिए, राज्य को उचित वक्त पर आरोपी के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन का खुलासा करने के लिए सत्र न्यायालय के समक्ष पहले से जमा किए गए सबूत पेश करने चाहिए। आपराधिक कानून में, गंभीरता कम करने वाली परिस्थितियां वाले कारक हैं जो अपराधी के अपराध को कम करने में मदद करते हैं और जजों को सजा के साथ अधिक उदार होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।