Uttarakhand News:बीमा पॉलिसी नंबर से आए मिस कॉल तो हो जाएं सावधान,इंश्योरेंस कंपनी का अफसर बनकर ठगी करने वाला शातिर गिरफ्तार

बीमा पॉलिसी लेने के लिए अगर आपके पास फोन आ रहे हैं तो उन्हें इग्नोर करिए. क्योंकि जरा सी चूक से आपके साथ ठगी हो सकती है। आपको फोन करने वाले ठग IRDAI या बीमा कंपनी का नाम लेकर फोन करेंगे।उनसे कोई बात मत करिए. बीमा नियामक इरडा ने ठगी और धोखाधड़ी को लेकर लोगों को आगाह किया है।
🔹जाने मामला
बंद पड़ी बीमा पॉलिसी को जारी रखने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। मामले में उत्तराखंड एसटीएफ की टीम ने 30 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने वाले मास्टरमाइंड को नोएडा से गिरफ्तार किया है।आरोपी तमाम इंश्योरेंस कंपनी के नाम से देशभर में सैकड़ों लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।इसके अलावा आरोपी खुद को आईआरडीएआई (IRDAI), एनपीसीआई (NPCI) आदि का अधिकारी बताकर धोखाधड़ी को अंजाम देते थे।
🔹पीड़ित हुआ ठगी का शिकार
दरअसल, देहरादून साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एक शिकायत मिली थी। जिसमें पीड़ित उमेश चंद्र जोशी निवासी आशीर्वाद एनक्लेव बल्लूपुर ने बताया था कि कुछ वित्तीय कारणों की वजह से वो पॉलिसियों को जारी रखने में असमर्थ था। इसी बीच उसके पास एक अज्ञात व्यक्ति का कॉल आया।कॉलर ने खुद को बीमा लोकपाल और एनपीसीआई अधिकारी बताया।पॉलिसी से जुड़े तमाम बातें बताकर उसे यानी पीड़ित को झांसे में ले लिया।
🔹आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
आरोपी कॉलर ने उन्हें बताया कि पॉलिसी की जांच और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनकी राशि वापस कर दी जाएगी। औपचारिकताओं की इस प्रक्रिया के दौरान आरोपी ने पीड़ित से विभिन्न बैंक खातों में 29,27,768 रुपए जमा करवा दिए, लेकिन बाद में न तो पॉलिसी की रकम मिली न ही जो रुपए जमा करवाए वो मिले। लिहाजा, पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ तो आनन फानन में पुलिस के पास जाकर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया।
🔹नोयडा से किया गिरफ्तार
उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई।इसी बीच टीम को जांच में आरोपी का बड़ौत, बागपत और नोएडा से कनेक्शन होने का पता चला।जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने आरोपी गौरव अग्रवाल निवासी बड़ौत और हाल निवासी गोपाल अपार्टमेंट, बेहरामपुर (नोएडा) को गिरफ्तार कर लिया गया।
🔹अपराध का तरीका
जो व्यक्ति बीमा पॉलिसी चलाने में असमर्थ हैं या पॉलिसी का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उन्हें आरोपी अपना निशाना बनाते थे। उनकी निजी जानकारी हासिल कर उन्हें विभिन्न माध्यमों से संपर्क करते थे, फिर उनकी पॉलिसी की धनराशि उन्हें वापस कराने का लालच देते थे।बकायदा इसके लिए वो बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण समेत बीमा लोकपाल आदि के नामों का इस्तेमाल कर उन्हें फंसाते थे।जिसके बाद उनसे रुपए ऐंठ लेते थे।