समस्या -हाईप्रोफाइल समस्या बना दिया है शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने –दिगम्बर फुलोरिया

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उत्तराखंड में विद्वान अधिकारी अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं रिटायरमेंट के बाद इनका पड़ोसी भी इनसे घृणा करेगा,कारण इन दिव्य ज्योति जाग्रति वाले अधिकारियों और विद्वान योग्य अधिकारियों को संज्ञानात्मक न्याय करना था,

 

 

 

 

 

 

में ब्लाक से लेकर मुख्य अपर सचिव तक सबको व्यथा बताई गई,अपर मुख्य सचिव द्वारा भी शिक्षा सचिव को निर्देश जारी किए गए और कार्यवृत पर चढा हुआ है, मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री, समस्त मंत्री,विधायक गण सब इस अन्याय से वाकिफ हैं, परिचित हैं, हाईप्रोफाइल समस्या बना दिया है शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने,निम्न बिंदुओं पर समस्या समाधान की गुजारिश आपसे पुन: करते हैं यदि मांग ही गलत है तो आज के बाद कभी बेसिक शिक्षकों के चयन प्रोन्नत वेतनमान का मुद्दा अपने स्तर पर नहीं उठायेंगे।

 

 


01- 2009 में शासन द्वारा बजट अभाव में नई एल टी शिक्षकों की भर्ती नहीं कर पाया, लोकसेवा आयोग ने भी हाथ खड़े कर दिए, हमारे विभागीय अधिकारियों ने कुशाग्र बुद्धि लगाई और शासन को प्रस्ताव भेजा कि प्राथमिक का हेडमास्टर जूनियर हाईस्कूल का सहायक अध्यापक,एल टी का सहायक अध्यापक तीनों प्रकार के शिक्षकों का वेतनमान समान है, बेसिक शिक्षा से 08 वर्ष की सेवा शर्तें पूरी करने वाले स्नातक प्रशिक्षित शैक्षिक योग्यता धारी बेसिक शिक्षकों को 2006 की सेवा नियमावली के आधार पर एल टी में समायोजित कर दिया जाय, तो माद्यमिक विद्यालय में रिक्त पदों पर पदस्थापित हो जायेंगे

 

 

 

 

जबकि,हमारे 1090 लगभग जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण कर दिया गया हमसे कहा गया कि आपके कोई भी हितलाभ प्रभावित नहीं होंगे, सभी गाय बछ्यियो जैसें सीधे सीधे यहा एल टी में आ गये, कुछ अधिकारियों ने पूर्व की सेवा जोड़ते हुए चयन प्रोन्नत वेतनमान दे दिया,, मामला ठीक चल रहा था,केवल चयन प्रोन्नत वेतनमान देय होगा, वरिष्ठता नहीं मिलेगी ऐसा करने पर भी कोई ऐतराज नहीं था, परन्तु आर्थिक नुकसान पहुंचाना कहां की बुद्धि मत्ता है,

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02-वर्ष 2011/2012 में उक्त शिक्षकों को हमारे योग्य अधिकारियों ने बेसिक से एल टी हकी विज्ञप्ति में समायोजन/पदोन्नत शब्द से नवाज दिया,अब ना समायोजित ना ही पदोन्नत चाल बहुत गहरी चली गई जो आज नासूर बन गई है।

 

 

 

03-वर्ष 2014 में सेवा नियमावली बदल कर समायोजन के स्थान पर पदोन्नत शब्द जोड़ दिया, जिस बेसिक शिक्षकों के लिए जोड़ा गया उसको पता ही नहीं कि ऐसा घृणित कार्य क्यो किया,इस नियमावली का लाभ किसके लिए है,अब चयन प्रोन्नत वेतनमान बन्द हो गया जिन अधिकारियों ने पहले दिया उन्होंने भी वसूली अभियान तेज कर दिया,अब अधिकतर अधिकारियों और पदाधिकारियों के रिश्तेदार भी इस गणित के खेल में उलझ गए, मामला कोर्ट का बना दिया,नया रास्ता बताने वाले भी यही अधिकारी थे,

 

04-अब कुछ शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान दिया गया कुछ को नहीं दिया, छोड़ दिया, कुछ को कार्यालय की रसूकदारी के चलते चुपचाप रहना तमाशबीन बनें रहना की तर्ज पर चयन प्रोन्नत वेतनमान दे दिया, ऐसा भी उत्तराखंड में देखने में आया है,

 

 

 

 

05-आज अधिकारी खुद नहीं समझ पा रहे हैं कि 2006 /2014 कौन सी नियमावली बेसिक शिक्षकों पर लागू करें, कारण एक तरफ बेसिक शिक्षकों की नियमावली संशोधन 2014 में कर दी गई है,जब कोर्ट से आदेश आ रहा है कि आप चयन प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत करें तो शासनादेश 655/ 463/10 फरवरी 2010 सहित मनमुताबिक लागू करके 2006 की सेवा नियमावली के अधार पर दे रहे हैं,एक तरफ कुआं दूसरी ओर खाई,

 

 

 

 

अब 07-07-2014 के माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा बेसिक से एल टी में आये शिक्षकों की पदोन्नति को पदोन्नत ना मानते हुए 5500–9000 प्रवेश की तिथि से मर्जर समायोजित मानने के दिशा निर्देश जारी किए गए,,तो विभाग के माथे पर बल पड़ना स्वाभाविक है
06-अब अधिकारियों की विद्वता को पूछ रहे हैं वो खुलेआम हमारे ही संगठन में बैठे हुए कतिपय साथियों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, मगर जिम्मेदारी अधिकारियों की होती है ना पदाधिकारियों और नाही कार्यालय कर्मचारियों की,
07-अब शासन ने डीजी की अध्यक्षता में कमेटी बिठा दी 23 मई 2021को 02 माह बाद विभाग हरकत में आया तब जब शासन में अधिकारियों की विद्वता उजागर कराई गई,

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तब जाकर 01 अगस्त 2022 को माननीय शिक्षा मंत्री जी ने बेसिक शिक्षकों को समायोजित/संविलियन करने के आदेश दिए,डीजी महोदय को बैठक में दिए, डीजी द्वारा 21 सितंबर 2022 को लगभग ,7 दिन में रिपोर्ट महानिदेशक कार्यालय को देने हेतु कमेटी मेम्बर्स को अपने आदेश संख्या 236 जारी करके देने को कहा गया, 04 माह से क्या हुआ कोई कमेटी के अधिकारी मुंह नहीं खोल पा रहे हैं ,बस रिटायरमेन्ट होने की सफल कामना कर रहे हैं उत्तराखंड में जब तक जिम्मेदारी व जवाबदेही तय नहीं होती तब तक अधिकारी और ब्यूरोक्रेट ऐसे ही मामले को उलझायएगे जेसा बेसिक शिक्षा से एल टी समायोजित पदोन्नन विभागीय परीक्षा भर्ती शिक्षकों के साथ अन्याय करते आए हैं,,आशा है नैर्सैगिक न्याय मिलेगा।

 

 

 

2020/2021/2022 लगातार राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड आन्दोलन करते हुए इस की समीक्षा की जाती रही है
08- बेसिक के शिक्षक को वरिष्ठता कदापि नहीं चाहिए बस केवल चयन प्रोन्नत वेतनमान चाहिए जो उसका हक है, यदि वह प्राथमिक जूनियर हाईस्कूल में ही रहते तो आज 5400 पे ग्रेड ले बिना मांगे ले रहे होते वो भी हाईस्कूल इंटरमीडिएट स्नातक की सामान्य शैक्षिक योग्यता प्रशिक्षण के साथ रहते हुए,

 

 

 

09-अधिकारी बेसिक के शिक्षक 4800/5400 लेकर एल टी में आ रहें हैं उनकी पदोन्नति कर रहे हैं 4600 ग्रेड पे पर वाह रे सिस्टम

 

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