चंपावत के दूरस्थ क्षेत्र के लोग आज भी डोली के सहारे? गर्भवती को पहुंचाया अस्पताल
मुख्यमंत्री धामी की विधानसभा चंपावत के झालाकुड़ी के ग्रामीणों ने कुर्सी व लकड़ी के डांडो की मदद से फिर एक बार बचाई गर्भवती महिला की जान। गांव में सड़क सुविधा का अभाव होने के कारण ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही है
फजीहत, ग्रामीण लंबे समय से सड़क सुविधा की मांग करते आए हैं पर सुध लेने वाला कोई नहीं है। गांव के 40 परिवार सड़क के लिए कर रहे हैं संघर्ष, मुख्यमंत्री की विधानसभा चंपावत के झालाकुड़ी गांव में ग्रामीणों ने कुर्सी व लकड़ी के डांडो की मदद से एक गर्भवती महिला की जान बचाई जिसकी खूब सराहना हो रही है।
पहाड़ों में डोली ही अधिकांश गांव के लोगों के लिए 108 सेवा का स्थानीय विकल्प है ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सड़क सुविधा का अभाव है वहां आज भी ग्रामीण डोली के माध्यम से मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं को मीलों पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाते हैं जिसका ताजा मामला चंपावत जिले के झालाकुडी का है। जहां ग्रामीणों ने मंगलवार को देर शाम एक गर्भवती महिला को 4 किलोमीटर पैदल चलकर डोली के सहारे मुख्य मार्ग तक पहुंचाया जिसके बाद उसे टनकपुर के उप जिला अस्पताल ले जाया गया। तब जाकर महिला की जान बच सकी ग्रामीणों ने कहा सरकार व मुख्यमंत्री चंपावत को आदर्श जिला बनाने की बात करते हुए लगातार पलायन को रोकने की बात कर रहे है वहीं दूसरी ओर पहाड़ में सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है
रोजगार एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण लोगों को गांव छोड़कर शहरों की ओर जाना मजबूरी बन गया है। ग्रामीणों ने कहा वह बरसों से गांव में सड़क की मांग कर रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दिए जा रहे हैं ग्रामीणों ने कहा मुख्यमंत्री जिले को आदर्श जिला बनाने की बात कर रहे हैं
पर उन्हें आज भी मरीजों को डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है गांव में सड़क ना होने के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ग्रामीणों ने एक बार फिर अपने विधायक और प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी से गांव में सड़क पहुंचाने की मांग करी है।