Indian Army Day 2024: भारतीय सेना के लिए स्पेशल है 15 जनवरी,कुमाऊं रेजीमेंट के नाम दो परमवीर चक्र और चार हजार से अधिक बलिदान

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इंडियन आर्मी यानी हमारी भारतीय सेना, जिनके वीरता की जितनी तारीफ की जाए कम है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर हमें इन जवानों के शौर्य और वीरता की अनगिनत कहानियां सुनने को मिलती हैं। हर साल 15 जनवरी का यह दिन विशेष तौर पर हमारे भारतीय रणबांकुरों के लिए ही मनाया जाता है। नाम दिया गया है ‘आर्मी डे’। लेकिन 15 जनवरी ही सेना के लिए खास तारीख के रूप में क्यों चुनी गई, इसके बारे में आगे बताएंगे। उससे पहले बता दें कि देश आज 76वां आर्मी डे मनाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे। यह आयोजन यूपी की राजधानी लखनऊ में होगा। तो आइए आपको बताते हैं कि 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए क्यों खास है।

🔹इस बार कहां मनाया जाएगा सेना दिवस?

आजका 76वां सेना दिवस उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया जाएगा। यह लगातार दूसरी बार होगा जब आर्मी डे का आयोजन देश की राजधानी दिल्ली से बाहर हो रहा है। इससे पहले 2023 में बेंगलुरु के गोविंदस्वामी परेड ग्राउंड में आयोजित हुआ था। आर्मी चीफ मनोज पांडे ने कार्यक्रम में शामिल भी हुए थे। आज लखनऊ में मनाए जा रहे सेना दिवस के दौरान सूर्य खेल परिसर में परेड के बाद शौर्य संध्या का आयोजन किया जाएगा। जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस आयोजन में मार्शल आर्ट के विभिन्न रूपों सुखोई और किरण विमानों द्वारा फ्लाई पास्ट के साथ-साथ कई सैन्य प्रदर्शन होंगे।

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🔹जाने कुमाऊं रेजीमेंट के बारे में 

भारतीय सेना की सबसे पुरानी बटालियन कुमाऊं रेजीमेंट की स्थापना वर्ष 1788 में हैदराबाद में हुई थी। तब इसे हैदराबाद रेजीमेंट का नाम दिया गया। स्थापना के समय इसकी सिर्फ चार बटालियन थीं। 27 अक्तूबर 1945 को इसे कुमाऊं रेजीमेंट नाम मिला और वर्ष 2022 तक इसकी 22 बटालियन अस्तित्व में आई हैं। मई 1948 में इसे केआरसी मुख्यालय रानीखेत शिफ्ट किया गया। 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान और 1962 के भारत-चीन युद्ध में इस रेजीमेंट के विशेष भूमिका रही है। वर्ष 1970 में भारतीय सेना की प्रमुख रेजीमेंट नाग को भी कुमाऊं रेजीमेंट से संबद्ध कर दिया गया।

🔹मेजर सोमनाथ शर्मा को 1947 में मिला परमवीर चक्र

रानीखेत में चार-कुमाऊं के मेजर सोमनाथ शर्मा को 1947 में मरणोपरांत देश का पहला सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र दिया गया। रानीखेत में कुमाऊं रेजीमेंट के केंद्र स्थित सैन्य मैदान को शहीद सोमनाथ शर्मा के नाम से पहचान मिली। यहां म्यूजियम में उनके युद्ध के समय की कई सामग्रियां तथा उनकी यादों से जुड़ी कई चीजें सहेजी गई हैं। वहीं, 1962 के चीन युद्ध में रेजांगला की जंग में अभूतपूर्व भूमिका निभाने वाले मेजर शैतान सिंह को दूसरा परमवीर चक्र मिला।

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🔹केआरसी को मिले वीरता पदक

दो परमवीर चक्र, 13 महावीर चक्र, 82 वीर चक्र, 14 परम विशिष्ट सेना मेडल, 32 अति विशिष्ट, 69 विशिष्ट, चार उत्तम, छह युद्ध सेवा पदक, 303 सेना मेडल, चार अशोक चक्र, 10 कीर्ति चक्र, 43 शौर्य चक्र। 

 

केआरसी ने भारतीय सेना को दिये तीन थल सेनाध्यक्ष

जनरल श्रीनगेश, जनरल केएस थिमैया (डीएसओ पद्म भूषण) और जनरल टीएन रैना (महावीर चक्र)।

🔹केआरसी के शहीद

वर्ष 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में 13-कुमाऊं के 120 जवानों ने चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया। इस युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट के 114 सैनिक शहीद हुए।

1971 में भारत-पाक युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट के 20 जवान शहीद हुए।कारगिल युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट के 31 जवानों ने देश के लिए अपनी शहादत दी।

🔹आजादी से पहले के युद्ध

1803 का मराठा युद्ध, 1817 का पिंडारी युद्ध, 1841 भीलों के विरुद्ध युद्ध , 1853 में अरब युद्ध, 1854 में रोहिल्ला सहित अन्य कई युद्धों में कुमाऊं रेजीमेंट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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