उत्तराखंड के यहां धरती फाड़कर जगह-जगह से निकलने लगा है.पानी सहमे है लोग

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उत्तराखंड के जोशीमठ में पिछले साल नवंबर में जमीन धंसने से घरों में दरारें आने की घटनाएं सामने आई थीं. अब यहां धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है. ऐसी घटनाएं मारवाड़ी में देखने को मिली हैं.

 

यहां जमीन धंसने ने जेपी कंपनी के मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे ये पूरी कॉलोनी खाली करा ली गई है. रास्ता टूट गया है. यहां जमीन में जगह-जगह से पानी भी निकलने लगा है.

 

 

 

 

 

यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि सोमवार रात अचानक इस कॉलोनी में बने घरों में दरारें आ गईं और कल दोपहर बाद यहां से पानी निकलने लगा. पानी को देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो कहीं अचानक अतिवृष्टि हो गई हो. इस घटना से पूरा जोशीमठ सहमा हुआ है.

 

 

 

जानकारी के मुताबिक जोशीमठ के मारवाड़ी में पिछले कई महीनों से भूस्खलन की घटनाएं हो रही थीं, जिसके बाद अचानक बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग-58 से लगे जयप्रकाश पावर प्रोजेक्ट की कॉलोनी के अंदर से पानी दीवारों के अंदर से और जमीन के अंदर से फूटकर निकलने लगा. मामले की जानकारी होने के बाद प्रशासन की टीम पहुंची और मामले को संज्ञान में लिया. प्रशासन ने 16 परिवारों को नगरपालिका प्राथमिक विद्यालय और अन्य जगह पर शिफ्ट कर दिया है.

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वहां रहने वाले लोगों का कहना है कि जोशीमठ में दरारें पहले से देखने को मिल रही थीं लेकिन सोमवार रात को जो दरार जेपी कंपनी में आई उसको देखने से लग रहा है कि मानो यहां कोई ज्वालामुखी फट गया हो.

 

 

 

बद्रीनाथ पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि जोशीमठ के अन्य क्षेत्रों में भी दरार का दायरा बढ़ गया है, ऐसे में लोग बहुत डरे हुए हैं. हर कोई इसे बड़ा खतरा मान रहा है और जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार से गुजारिश कर रहा है.

 

 

 

 

जोशीमठ के तहसीलदार रवि शाह कहना है कि घटना की जानकारी होने के बाद टीम मारवाड़ी में जेपी कंपनी की कॉलोनी में गई थी. वहां जगह-जगह जमीन से पानी निकल रहा है. जो पानी वहां निकल रहा है वह किसी के सीवर लाइन के पानी लीकेज नहीं है. यह जमीन के अंदर से निकलने वाला पानी ही है.

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उत्तराखंड सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने इस मामले में कई बार चिंता जता चुके हैं. वह कह चुके हैं कि जोशीमठ में जिस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं, उस पर जल्दी ही अगर संज्ञान नहीं लिया गया, तो एक बड़ी आपदा हो सकती है.

 

 

 

 

 

 

जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों बहुत तेजी से नुकसान में इजाफा हुआ है. इस पर त्वरित करवाई करने की जरूरत है. वहा के स्थानीय लोग भी लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं. यह इलाका समुद्र तल से करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सिस्मिक जोन 5 में आता है. यानी प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील है. यहां पिछले कुछ दिनों में भूधंसाव में काफी तेजी आई है.

 

 

उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया था, उसमें कहा था कि घरों में आ रही दरारें शहर की कमजोर बुनियाद के कारण आ रही हैं. इसके अलावा तमाम कारण उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इंगित किए थे. इसमें कंस्ट्रक्शन, शहर की कैपेसिटी और नदी के कारण होने वाला कटाव शामिल है.

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