उत्तराखंड में ईद-उल-अजहा की रौनक, गले लगकर एक दूसरे को दी मुबारकबाद, अमन चैन की दुआ की

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आज पूरे देश में बकरीद बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है।इसी कड़ी में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में भी ईद की रौनक देखने को मिल रही है। मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग सुबह तैयार होकर ईदगाह पहुंचे और ईद की नमाज अदाकर देश में अमन और चैन की दुआ मांगी। साथ ही गले लगकर एक दूसरे को खूब बधाइयां दीं।

🔹हिंदुओं भाइयों ने दिया एकता का संदेश

ईद का त्योहार शांतिपूर्ण संपन्न हो, इसलिए आज क्षेत्र के बसेड़ी और खड़ंजा गांव के ईदगाह में पुलिस प्रशासन की चप्पे-चप्पे पर निगाहें रही। इसी बीच हिंदुओं द्वारा भी मुस्लिम भाइयों को ईद की बधाई दी गई और भाईचारे का संदेश दिया गया।वहीं, रुड़की में भी आज ईद-उल अज़हा के त्यौहार पर हल्की बूंदाबांदी के बीच ईद की नमाज अदा की गई है।

🔹ईदगाह के पास पुलिस का डेरा

मुफ़्ती सलीम ने बताया कि आज गर्मी बहुत ज्यादा हो रही थी, लेकिन अल्लाह ने मौसम बहुत अच्छा कर दिया है। जिससे बड़े ही अच्छे तरीके से मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज अदा की गई। उन्होंने बताया कि नमाज के समय ईदगाह के पास सुरक्षा को देखते हुए पुलिस बल भी मौजूद रहा और कुर्बानी को लेकर भी सभी से अपील की है कि कुर्बानी करते समय सफाई का ध्यान जरूर रखें।

🔹क्यों मनाई जाती है बकरीद?

बकरीद कुर्बानी का त्योहार है। माना जाता है कि पैगंबर इब्राहिम मोहम्मद ने अल्लाह की इबादत में खुद को समर्पित कर दिया था। इससे अल्लाह खुश हुए और परीक्षा लेने के लिए पैगंबर की सबसे बेशकीमती चीज की कुर्बानी मांगी। पैगंबर अल्लाह को खुश करने के लिए अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए।कुर्बानी देने ही वाले थे कि अल्लाह ने उनके बेटे को बचा लिया और उसकी जगह एक बकरे को कुर्बान करने के लिए कहा. तभी से बकरीद का त्योहार पैगंबर को याद करने के लिए मनाया जाता है।

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