शादी के सात दिन में ही दुल्हन ने दुल्हे को कहा अलविदा कहा करूँगी दूसरी शादी

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कहते है शादी सात जन्मों कां बंधन है. शादी के सात फेरे सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा है. लेकिन बिहार के नालंदा में सात जन्म दो दूर सात दिन बाद ही यह बंधन कमजोर हो रहा है.

 

और दुल्हन ने दुल्हे के साथ जाने से साफ मना कर दिया है. लड़की का कहना है कि लड़का लंगड़ा है इसलिए वह उसके साथ विदा होकर नहीं जाएगी. लड़के ने कहा कि भले ही उसे दूसरी या तीसरी शादी करनी पड़े लेकिन वह इस दुल्हे के साथ विदा होकर ससुराल नहीं जाएगी.

 

 

 

इधर दुल्हा दुल्हन के दिव्यांग होने के आरोप को गलत बता रहा है. उसका कहना है कि उसके पैर में कोई परेशानी नहीं है. वह पूरी करह भला चंगा है. इसके साथ ही वह पत्नी को साथ ले जाने के लिए अब थाने में गुहार लगा रहा है.

 

 

मामला रसराय थाना क्षेत्र के रतनपुरा गांव का है जहां 8 जुलाई को हरनौत थाना क्षेत्र के उखड़ा गांव से बारात आई. सकलदीप मांझी के बेटे मुकेश कुमार की थी जो तनपुरा गांव निवासी मनोज मांझी की बेटी शोषम कुमारी के घर आई. पूरे विधि विधान के साथ दोनों की शादी हुई.

 

इसके बाद जब दुल्हन के विदा होन का समय आया तो उसने ससुराल जाने से साफ मना कर दिया. लड़की का कहना है कि शादी के बाद उसे पता चला कि दूल्हा पैर से दिव्यांग है. लड़की ने कहा कि शादी के बाद वह जब दूसरे घर में स्थित देवी देवताओं के आशीर्वाद लेने गई तो उसे पता चला कि लड़का पैर से दिव्यांग है.

 

 

 

लड़की ने बताया कि पूजा करने के लिए जाने के दौरान सीढ़ी पर चढ़ते वक्त लड़खाने लगा. जिसके बाद उसे पता चला कि वह दिव्यांग है. इसके साथ ही लड़की ने कहा कि उसने पहले ही शादी करने से इंकार कर दिया था, उसे लड़का नहीं पसंद था.

 

 

शादी से पहले उसे उसके पिता के सिवा किसी ने नहीं देखा था. अब शादी के बाद पता चला कि लड़का पैर से दिव्यांग भी है जिसके बाद वह किसी कीमत पर ससुराल नहीं जाएगी. लड़की ने यह भी आरोप लगाया कि शादी के बाद उसे कुछ गांव वाले और बारात में आए

 

 

 

लोग जबरदस्ती गाड़ी पर बैठाकर ले जाने की कोशिश कर रहे थे बड़ी मुश्किल से वह वहां से भाग पाई. इधर लड़का ने अपने आप को पूरी तरह ठीक बताते हुए थाने में समाज में हो रही बदनामी का हवाला देकर लड़की को साथ ले जाने के लिए गुहार लगाई है.

 

 

 

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