निर्दोष शिक्षकों की सेवानिवृत्त के पश्चात लाखों की रिकबरी में अधिकारियों की घोर लापरवाही–दिगम्बर फुलोरिया

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निर्दोष शिक्षकों की सेवानिवृत्त के पश्चात 9 लाख 4 हजार 819 रूपयों की रिकबरी रामस्वरूप बिल्जवाण, उत्तरकाशी एवं अजय सैनी विकास नगर देहरादून वेदप्रकाश चकराता से इस प्रकार की वेतन से वसूली अभियान से राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड शिक्षा विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही और शिक्षक विरोधी करार देकर ऐसे अधिकारियों की जिम्मेदारी व जवाबदेही तय होनी चाहिए,

 

 

 

 

 

 

 

वर्ष 2006 से वित विभाग, उपशिक्षा अधिकारी खण्ड शिक्षा अधिकारी,अपर जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक /बेसिक , मुख्य शिक्षा अधिकारी,अपर शिक्षा निदेशक कुमाऊं मंडल/गढवाल मण्डल उप, निदेशक, संयुक्त निदेशक अपर निदेशक वित्त नियंत्रक निदेशालय के अधिकारियों ने क्या किया जबकि महानिदेशक भी ननूरखेडा बैठते हैं,कयेक बार शिक्षकों की सेवा पुस्तिका निदेशालय मंगवाई गई,इतनी फौज फरड के बाद भी उत्तराखण्ड में कोई काबिल अधिकारी नहीं थे,जो वेतन विसंगति को सुधार सकते थे,और यह केवल बानगी है उतराखण्ड में अधिकाश इसी प्रकार के फैसले हो रहें हैं शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कुम्भ निद्रा में सोये हुए हैं और खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है

 

 

 

 

 

 

 

इधर बेसिक से एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षकों के लिए भी दोहरा मापदंड अपनाया गया है 2006 की सेवा नियमावली में जो शिक्षक माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल से आदेश पारित कराकर ला रहे हैं उनको चयन प्रोन्नत वेतनमान दे दिया गया है जो शिक्षक अधिकारियों के भरोसे नैर्सैगिक न्याय मिलने के उम्मीद लगाए बैठे हैं उनके लिए चयन प्रोन्नत वेतनमान का शासनादेश नहीं है कहकर अधिकारी टरका रहे हैं और चयन प्रोन्नत वेतनमान की फाइल लौटा दी जा रही है,आखिर जब सभी शिक्षकों को माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल से ही न्याय मिलना है तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जरूरत क्यों पड़ती है

 

 

 

 

 

 

 

 

और इनके द्वारा गुपचुप तरीके से बेसिक शिक्षकों के लिए 2006 की सेवा नियमावली से छेड़छाड़ कर 2014 में संशोधन क्यों किया गया, समायोजन के स्थान पर पदोन्नत शब्द क्यों जोड़ दिया गया, शिक्षकों को क्या लाभ मिला,इससे अधिक शासन के बजट का दुरपयोग अधिकारियों ने नैनीताल, कोर्ट के नाम पर सैरसपाटा करके उड़ा दिया, इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जो जूनियर हाईस्कूल से एल टी में शिक्षक अब आ रहे हैं वे 5400/4800 ग्रेड पे लेकर 4600 रूपये में इण्टर कालेज में पदोन्नति पा रहे हैं , कैसा न्याय है वेतन बढने के बजाय पदोन्नति आर्थिक नुकसान के लिए किया जा रहा है,ऐसी विसंगति को क्या नाम देंगे अधिकारी और कुछ शिक्षक जिनको 10 वर्ष में जूनियर हाईस्कूल में रहते स्वत:चयन प्रोन्नत वेतनमान मिल चुका होता,मगर विभागीय अधिकारियों की अदूरदर्शिता के कारण 15 वर्ष बाद भी चयन प्रोन्नत वेतनमान नहीं मिल पा रहा है,

 

 

 

 

 

 

 

ऐसे में जिम्मेदारी व जवाबदेही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की करनी चाहिए उनके वेतन से कटौती होनी चाहिए यदि ऐसा ही चलता रहा तो 01जून 2023 से राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन आमरन अनशन विवस होकर लगायेंगे जिसकी जिम्मेदारी व जवाबदेही शिक्षा विभाग शासन प्रशासन की होगी,
दिगम्बर फुलोरिया प्रदेश अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह राणा महासचिव राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड

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