उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा हाई कोर्ट ने प्रदेश से माँगा जवाब

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हाई कोर्ट नैनीताल ने प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति व लोकायुक्त संस्थान को सुचारू रूप से संचालित किए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार (नौ मई) तक या 24 घंटे के भीतर राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।

 

 

 

 

 

कोर्ट ने पिछली तिथि में सरकार से शपथपत्र के माध्यम से यह बताने को कहा था कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए क्या कार्रवाई की है। कहा कि शपथ पत्र में संस्थान बनने से 31 मार्च 2023 तक वर्षवार कितना खर्च किया गया है, उसका विवरण भी आने के लिए कहा था लेकिन सरकार ने अभी तक जवाब पेश नहीं किया है।

 

 

 

 

 

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हल्द्वानी गौलापार निवासी समाजसेवी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की जबकि संस्थान के नाम पर सालाना दो से तीन करोड़ खर्च हो रहा है।याचिकाकर्ता के अनुसार, कर्नाटक में व मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा रही है लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं। हर एक छोटे से छोटा मामला उच्च न्यायालय में लाना पड़ रहा है।

 

 

 

 

वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन है, जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में है। उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नही है जिसके पास यह अधिकार हो की वह बिना शासन की पूर्वानुमति के किसी भी राजपत्रित अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा पंजीकृत कर सके।

 

 

 

 

 

 

स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नाम पर प्रचारित किया जाने वाला सतर्कता विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है, जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही रहता है।एक पूरी तरह से पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच व्यवस्था राज्य के नागरिकों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यही है की पूर्व के विधानसभा चुनावों में राजनैतिक दलों द्वारा राज्य में अपनी सरकार बनने पर प्रशासनिक और राजनैतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक सशक्त लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था। जो आज तक नहीं हुआ।

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