अल्मोड़ा में 655 नौले-धारों में लौटेगी जलधार,सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना का किया शिलान्यास

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अल्मोड़ा। जिले में दो दशकों में 50 प्रतिशत से अधिक जलस्तर घटने से धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खो रहे पारंपरिक नौले-धारे और गाड़-गधेरे सुधारने की कवायद शुरू हो चुकी है। प्रदेश सरकार के जल संचय और संरक्षण कार्यक्रम के तहत जिले में 665 नौले-धारों में फिर से जलधारा बहेगी जिसमें तीस करोड़ रुपये खर्च होंगे। 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जागेश्वर धाम पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना का शिलान्यास किया था।जल संचय और संरक्षण मिशन के तहत जिले के सल्ट, ताड़ीखेत, भिकियासैंण और चौखुटिया विकासखंड की 145 ग्राम पंचायतों में 665 नौले-धारों और गाड़-गधेरों को संरक्षण के लिए चिह्नित किया गया है। जलागम क्षेत्र के अनुसार दो दशकों में इन जल स्रोतों का जलस्तर आधे से भी कम हो गया है तो इनमें से कई जल स्रोत सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। जल संचय और संरक्षण मिशन के तहत इन सभी जल स्रोतों का संरक्षण होगा और ये फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटेंगे। 

🔹जल स्रोतों को चाल-खाल और पौधरोपण से मिलेगी नई जान 

जलागम क्षेत्र में जलस्तर घटने से नौले-धारे अपना अस्तित्व खो रहे हैं। चाल-खाल और पौधरोपण योजना से इनमें नई जान फूंकी जा सकेगी। इन जल स्रोतों के आसपास चेकडैम, छोटे-बड़े तालाब बनाए जाएंगे और पौधरोपण कर जंगल विकसित होंगे। इससे जल संचय होगा और ये नौले-धारे फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटेंगे। 

🔹चीड़ के जंंगलों में अन्य प्रजातियों के जंगल विकसित करना होगा चुनौती 

जलागम परियोजना ने जिन स्थानों पर संरक्षण के लिए नौले-धारों को चिह्नित किया है, वहां आसपास क्षेत्र में चीड़ के जंगल के अलावा अन्य प्रजातियों के पेड़ नहीं हैं। पर्यावरण असंतुलन के बीच चीड़ के जंगलों में स्थित जल स्रोत धीरे-धीरे सूखने लगे हैं। ऐसे में परियोजना को इन नौले-धारों को बचाने के लिए आसपास के क्षेत्रों में अन्य प्रजाति के जंगल विकसित करने होंगे जो किसी चुनौती से कम नहीं होगा। 

🔹जीर्णशीर्ण 84 नौले-धारों का हुआ सुधारीकरण 

जलागम परियोजना के मुताबिक इन चारों विकासखंडों में बदहाली की मार झेल रहे 84 नौले-धारों का सुधारीकरण किया गया है। अब दूसरे चरण में इनमें जलस्तर बढ़ाने की योजना के लिए काम होगा। जल संचय और संरक्षण कार्यक्रम के तहत जिले के चार विकासखंडों में 665 नौले-धारों को संरक्षित किया जाएगा। इन प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए गंभीरता से काम किया जाएगा। – डॉ. एसके उपाध्याय, उप परियोजना निदेशक, जलागम प्रबंधन, अल्मोड़ा।

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