उत्तराखंड समान नागरिक संहिता का ड्राफ्टिंग पूरी अब जल्द लगेगा ये है मुख्य बिंदु
उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का ड्राफ्टिंग अपने आखिरी चरण में है. इसके लिए गठित विशेषज्ञ कमेटी द्वारा दिल्ली में रह रहे उत्तराखंड वासियों के लिए जनसंवाद कार्यक्रम को राज्य में यूसीसी पर कंसल्टेशन का आखिरी कदम बताया जा रहा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यूसीसी पर बनी एक्सपर्ट कमेटी इस महीने के आखिर तक अपना रिपोर्ट राज्य सरकार को सबमिट कर देगी. उसके बाद इस रिपोर्ट का अध्ययन कर उत्तराखंड सरकार इस पर अमल कर सकती है.
इस बाबत उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता पर बनी विशेषज्ञ समिति ने बुधवार को दिल्ली में जनसंवाद आयोजित किया. इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया. समिति अबतक यूसीसी के सभी हितधारकों से चर्चा और मशविरा कर चुका है.
इस क्रम में सभी राजनीतिक दल और समाज के सभी धर्मों के लोगों से मशविरा किया जा चुका है.कार्यक्रम में उपस्थित उत्तराखंड सरकार द्वारा यूसीसी पर गठित कमेटी की प्रमुख सेवानिवृत जस्टिस रंजना प्रकाश ने कहा कि यूसीसी पर कानून के प्रावधान की ड्राफ्टिंग लगभग पूरी हो चुकी है और अब ये अविलंब राज्य सरकार से साझा कर दी जाएगी.
समिति के सदस्य मनु गौड़ ने बताया कि यूसीसी की विशेषज्ञ समिति ने अबतक करीब 51 बैठकें आयोजित की है. साथ ही उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में लगभग 37 बैठकें की है. छोटे-छोटे समूहों में बैठक के अलावा एक्सपर्ट कमिटी ने 3 बड़े सभाएं भी की है. ये तीनों बड़ी सभाएं देहरादून, नैनीताल और दिल्ली में आयोजित की गई.
एक्सपर्ट कमेटी द्वारा बताया गया कि अब तक 2 लाख से ज्यादा लोगों के सुझाव और सोच मिले हैं.समिति से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 3 लाख से ज्यादा हाथों से लिखी हुई चिट्ठियां, 60 हजार के करीब ईमेल और 22 हजार सुझाव यूसीसी समिति के वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है.
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम के दौरान यूसीसी कमेटी को उत्तराखंड वासियों ने तरह तरह के सुझाव दिए.लेकिन इनमें से एक खास आग्रह प्राप्त हुआ है, जिसमें पहाड़ के लोगों ने समिति को सुझाव दिया है कि कानून में एक प्रावधान ऐसा भी होना चाहिए कि सेना में कार्यरत जवान की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता की देखरेख का जिम्मा मृतक सैनिक की पत्नी के पर हो.
विशेषज्ञ समिति को उत्तराखंड के कुछ लोगों ने ये सुझाव दिए कि राज्य में बच्चे को गोद लेने और तलाक लेने की प्रक्रिया आसान बनाई जानी चाहिए.उनका कहना था कि बच्चे को गोद लेने और तलाक लेना एक बड़ी जटिल प्रक्रिया है,
जिसमें लोगों को अनावश्यक तकलीफ और समय की बर्बादी होती है. समिति के सामने एक मशविरा ये भी आया है कि मानसिक रूप से कमजोर बच्चे का भरण पोषण उसके सगे संबंधियों द्वारा किए जाय. इसको भी कानून के प्रावधानों में शामिल किया जाना चाहिए
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में समिति को एक उत्तराखंड वासी ने ये भी मशविरा दिया की निःसंतानी पिता को एक से ज्यादा यानि दूसरी शादी की इजाजत होनी चाहिए ताकि वो अपना कुल खानदान या अगली पीढ़ी को बढ़ा सके. जब खानदानी और माता पिता के अर्जित प्रॉपर्टी में बच्चों का हक होता है
तो उसके उल्टा बच्चों के प्रॉपर्टी में भी माता-पिता को अधिकार मिलना चाहिए जैसे अनेकों सुझाव समिति को मिले हैं.समिति के सामने एक सुझाव ये भी आया है कि मुस्लिमों को इस बात की आजादी दी जानी चाहिए कि वो अपना प्रॉपर्टी संबंधी विवाद का निपटारा यूसीसी के जरिए करवाना चाहते हैं या मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जरिए.गौरतलब है की पिछले वर्ष 2022 में उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में कहा था कि सूबे में सरकार बनी तो समान नागरिक संहिता लागू करेगी.
उसी क्रम में इस कानून को निर्माण करने के लिए एक 5 सदस्यीय समिति बनाई गई है जो राज्य में यूसीसी लागू करने किए तमाम विषयों का अध्ययन और मशविरा कर रही है. इस समिति की प्रमुख सेवानिवृत जज रंजना प्रकाश हैं.
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