बड़ी ख़बर : अब भारत से कर सकेंगे कैलाश पर्वत के दर्शन,चीन पर निर्भरता होगी खत्म, तैयारियों में जुटी सरकार

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शिवभक्तों के लिए बड़ी खबर सामने आई है।अब उन्हें पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए अब चीन जाने की जरुरत नहीं होगी. भक्त उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के दर्शन कर पाएंगे। 

बता दें, पिछले चार सालों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा किसी ना किसी कारण से स्थगित हो रही थी।बताया जा रहा है कि पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा के करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन पूरी तरह संभव है. सीमांत में स्थित नाभीढ़ांग के ठीक ऊपर 2 किलोमीटर ऊंची पहाड़ी से तिब्बत में मौजूद कैलाश पर्वत आसानी से दिखाई देता है. हालांकि, अब तक यह बात किसी को पता नहीं थी, लेकिन जब कुछ स्थानीय लोग ओल्ड लिपुपास की पहाड़ी के ऊपर पहुंचे तो वहां से पवित्र कैलाश पर्वत काफी करीब और दिव्य दिखाई दिया। 

🔹लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के दर्शन हो पाएंगे 

इस संभावना की वास्तविकता को खोजने गई अधिकारियों की टीम को भी कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन बहुत आसानी से हो गए. टीम में शामिल सदस्य और धारचूला के एसडीएम दिवेश शासनी ने बताया कि ओल्ड लिपुपास से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन आसानी से हो रहे हैं. इस विषय में अब वे अपनी रिपोर्ट शासन को देंगे. जिसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी. 

पर्यटन विभाग का कहना है कि ओल्ड लिपूपास पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, जो आसान तो नही है. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए भी रास्ता बनाया जा सकता है. पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति चंद्र आर्य ने बताया कि ओल्ड लिपुपास पर रास्ता बनाने के साथ ही पर्यटकों के लिए अन्य जरूरी सुविधाएं भी जुटाई जानी है. जिसके बाद इस जगह से देशभर के श्रद्धालु पवित्र कैलाश के दर्शन कर सकेंगे। 

🔹लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं 

स्थानीय लोगों का कहना है कि ज्योलिंगकांग से 25 किलोमीटर ऊपर लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं, ऐसे में ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर के करीब से कैलाश पर्वत के दर्शन होने से क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन गतिविधियों में गति आ सकती है. साथ ही इससे स्थानीय लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और इस क्षेत्र को देश और दुनिया में एक अलग पहचान मिलेगी।

 

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