अल्मोड़ा के भातखंडे संगीत महाविद्यालय में तबले की शिक्षा से वंचित हैं विद्यार्थी

कुमाऊं के एकमात्र भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय में वर्षों से तबला संकाय नहीं खुल सका हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की विधाओं की नहीं मिल पा रही है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत की विधाओं को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1989 में नगर में भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय स्थापित किया गया। शुरुआती दौर में यहां गायन, कथक, भरतनाट्यम और सितार चार संकाय शुरू किए गए लेकिन कई साल बाद भी संस्थान में तबला संकाय नहीं खुल सका है।
संगीत महाविद्यालय होने के बावजूद विद्यार्थियों को तबला वादन की शिक्षा नहीं मिल पा रही है। काफी संख्या में विद्यार्थी तबला वादन सीखना चाहते हैं लेकिन संस्थान में संकाय न होने से विद्यार्थियों को मायूस होना पड़ता है। तबला संकाय न होने से अन्य संकायों में ही प्रवेश लेना विद्यार्थियों की मजबूरी हो जाती है। अन्य संकायों में 200 से अधिक विद्यार्थी प्रशिक्षण ले रहे है।
निजी संस्थानों में तबला सीखने पर ढीली हो रही जेब
अल्मोड़ा। महाविद्यालय में तबले का प्रशिक्षण लेने पहुंच रहे विद्यार्थी को निराश होना पड़ रहा है। कई विद्यार्थी महंगी फीस चुका कर निजी संस्थानों में प्रशिक्षण लेने के लिए मजबूर हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तबला संकाय खुलने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
नए सत्र मैं प्रवेश ले रहे कई विद्यार्थी
अल्मोड़ा। भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय में इन दिनों प्रवेशिका, प्रथम वर्ष, प्रथमा, मध्यमा, विशारद प्रथम और विशारद द्वितीय कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। प्रवेशिका में 70 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रवेश ले लिया है। अन्य कक्षाओं में भी प्रवेश प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है।
महाविद्यालय में तबला संकाय खोलने के लिए कई बार निदेशालय से अनुमति मांगी गई जिसे अभी स्वीकृति नहीं मिली है। स्वीकृति मिलते ही संकाय में प्रवेश दिया जाएगा। – चंद्र सिंह चौहान, प्रभारी प्रधानाचार्य, भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय अल्मोड़ा।
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