Almora News :हवालबाग विकासखंड के ग्रामीण रेशम उत्पादन कर बनेंगे आत्मनिर्भर, 12 हेक्टयर भूमि पर नौ हजार रौपे जाएंगे पौंधे

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अल्मोड़ा के हवालबाग विकासखंड के ग्रामीण रेशम उत्पादन कर आत्मनिर्भर बनेंगे। ब्लॉक के खूंट, धामस और भाकड़ गांव मॉडल आजीविका क्लस्टर रूप में विकसित होंगे। तीन गांवों में 12 हेक्टेयर भूमि में शहतूत के पौधे रोपकर यहां के ग्रामीणों को रेशम उत्पादन से जोड़ा जाएगा।

💠जंगली जानवरों के आतंक से खेती से मुंह मोड़ रहे ग्रामीण अब रेशम से अपनी आय सुधारेंगे।

रेशम विभाग 5.76 लाख रुपये से 12 हेक्टयर भूमि पर नौ हजार शहतूत के पौध रोपेगा। मॉडल आजीविका कलस्टर योजना के तहत प्रथम चरण में हर गांव से 10-10 ग्रामीणों का चयन किया गया है। अगले चरण में अन्य ग्रामीणों को योजना में शामिल किया जाएगा। विभाग किसानों की निजी भूमि पर शहतूत की नर्सरी तैयार कर कीट पालन के लिए ग्रामीणों को भवन उपलब्ध कराएगा। भवन बनने के बाद ग्रामीण आसानी से रेशम उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ाएंगे और उन्हें इसके लिए कोई धन खर्च नहीं करना होगा। 

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💠316 किसान जुड़े हैं रेशम उत्पादन से

रेशम विभाग के मुताबिक लमगड़ा, भैसियाछाना, धौलादेवी, स्यादे के 316 किसान रेशम उत्पादन से जुड़े हैं। 600 रुपये प्रति किलो कोकून बेचकर वे सालना 50 लाख रुपये तक आय अर्जित कर रहे हैं। बंदर, जंगली सुअर के आतंक से खेती में नुकसान उठा रहे लोग अब रेशम उत्पादन से जुड़ने का मन बना रहे हैं।

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💠जिले के रेशम की विदेशों में भी मांग

अल्मोड़ा में मुख्य रूप से शहतूती रेशम का उत्पादन होता है। यहां के उच्च गुणवत्तायुक्त शहतूती रेशम की देश के अलावा विदेशों में भी भारी मांग है। वर्ष 2017 में जिले में 3000 किलो रेशम का उत्पादन होता था जो वर्ष 2023 में बढ़ कर 4500 किलो तक पहुंच गया।

मॉडल आजीविका क्लस्टर योजना के तहत हवालबाग के गांवों में शहतूत के पौधे रोपे जाएंगे। पहले चरण में तीन गांवों का चयन किया गया है। जल्द यहां के ग्रामीण रेशम उत्पादन से जुड़कर अच्छी आमदनी करेंगे।

-संजय काला, सहायक निदेशक, रेशम विभाग, अल्मोड़ा।

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