Almora News:बारह सौ साल पुरानी चोरी हुई महिषासुर मर्दनी की मूर्ति जल्द लाई जाएगी अल्मोड़ा

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अल्मोड़ा जिले के एक मंदिर से दशकों पूर्व चोरी हुई करीब 1200 साल पुरानी मां महिषासुर मर्दनी की दुर्लभ मूर्ति जल्द दिल्ली से वापस लाई जाएगी। अमेरिका से वापस आने के बाद 2018 से यह प्रतिमा सेंट्रल एंटीक्यूटी सेल दिल्ली में संरक्षित है।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) देहरादून मंडल इस दुर्लभ प्रतिमा के बारे में जानकारी हासिल करने में जुटा है और इसे अल्मोड़ा वापस लाने की तैयारी शुरू हो गई है।

🔹दुर्लभ मूर्तियों पर तस्करों की नजर पड़ी 

कत्यूरी और चंद राजाओं के शासन का केंद्र रही सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा ऐतिहासिक स्मारकों और प्रतीकों का भंडार है। जिले में जागेश्वर धाम, कटारमल, द्वाराहाट आदि स्थानों पर प्राचीन मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र रहे हैं। इन मंदिरों में बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की अद्भुत नक्काशीदार दुर्लभ मूर्तियां हर किसी को अपनी ओर खींचती हैं। 60-70 के दशक में इन दुर्लभ मूर्तियों पर तस्करों की नजर पड़ी थी।

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🔹10वीं सदी में निर्मित यह दुर्लभ मूर्रि भारत लाई गई 

उस दौर में जिले के कई मंदिरों से पत्थर और अष्टधातु निर्मित दर्जनों मूर्तियां को चोरी कर विदेशों में बेचा गया था।इसी में शामिल करीब 1200 साल पुरानी मां महिषासुर मर्दनी की दुर्लभ मूर्ति भी शामिल है, जिसके अमेरिका में होने की जानकारी मिली। वर्ष 2018 में केंद्र सरकार के प्रयास से 10वीं सदी में निर्मित यह दुर्लभ मूर्रि भारत लाई गई थी।

🔹जागेश्वर म्यूजियम में संरक्षित की जा सकती है मूर्ति

एएसआई के मुताबिक अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अमेरिका से वापस लाई गई दुर्लभ मूर्ति अल्मोड़ा जिले के किस मंदिर से और कब चोरी हुई थी। एएसआई सीएसी दिल्ली से इसकी पूरी जानकारी हासिल कर रहा है। इसके बाद इसे जिले में वापस लाया जाएगा। यदि किस मंदिर से मूर्ति चुराई गई थी, इसकी स्पष्ट जानकारी मिलती है तो इसे वहीं स्थापित किया जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसे जिले में वापस लाकर ईएसआई के उत्तराखंड के इकलौते जागेश्वर संग्रहालय में रखा जा सकता है। इस संग्रहालय में वर्तमान में करीब 64 मूर्ति लोगों के लिए डिस्प्ले की गई हैं।

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🔹जानकारियां जुटाकर इसे अल्मोड़ा लाने के प्रयास किये जा रहा 

अल्मोड़ा जिले से चोरी हुई मां महिषासुर मर्दनी की करीब 1200 साल पुरानी प्रतिमा वर्ष 2018 में यूएसएस से वापस लाकर सीएसी दिल्ली में संरक्षित की गई है। प्रतिमा के बारे में जानकारियां जुटाकर इसे अल्मोड़ा लाने के प्रयास किये जा रहे हैं।- मनोज सक्सेना, अधीक्षण पुरातत्वविद, एएसआई, देहरादून मंडल।