Almora News:नगर में पहाड़ की खूबसूरती को बबार्द कर रहे ये कूड़े के ढेर

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पहाड़ का नाम आते ही दिमाग में एक अलग सा चित्र बनने लगता है। बड़ी-बड़ी चोटियों का समूह चारों ओर हरियाली, लहराते खेत, चिडिय़ों की चहचहाट, धारे के पानी की कल-कल,सुंदर वातावरण वहीं पहाड़ों की सेहत और सौंदर्य को बरकरार रखने के दावे कर स्वच्छ भारत अभियान के साथ स्वच्छता पखवाड़ा चलाया जा रहा है, लेकिन अल्मोड़ा में नगर से लेकर गांवों तक कूड़ा निस्तारण की योजना अब तक सफल नहीं हो सकी है।

🔹पहाड़ो की खूबसूरती बिगड़ रही 

अल्मोड़ा नगर पालिका के ट्रंचिंग ग्राउंड में रिसाइकिल प्लांट को स्वीकृति न मिलने से यहां 22 हजार मीट्रिक टन कूड़ा जमा है। इधर गांवों में कूड़ा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था न होने से कूड़ा हरे-भरे जंगलों और नदियों के किनारे फेंका जा रहा है, इससे पहाड़ों के साथ ही नदियों की खूबसूरती बिगड़ रही है।

🔹ट्रंचिंग ग्राउंड में हजार मीट्रिक टन कूड़ा डंप

कुमाऊं की सबसे पुरानी पहली नगर पालिका अल्मोड़ा में स्वच्छता अभियान के बीच कूड़ा निस्तारण की ठोस योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी है। यहां जिला मुख्यालय सहित जिले के बड़े बाजारों से निकलने वाले कूड़ा निस्तारण के लिए अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ हाईवे पर चितई मंदिर के पास बने ट्रंचिंग ग्राउंड में करीब 15 साल से 22 हजार मीट्रिक टन कूड़ा डंप है। 

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🔹रिसाइकिल प्लांट न लगने से पर्यावरण पर असर 

रिसाइकिलिंग प्लांट को स्वीकृति न मिलने से इसका निस्तारण नहीं हो सका है और रोजाना यहां पहुंचने वाले 17 टन से अधिक कूड़े से इसका ढेर हर दिन बढ़ रहा है। हरे-भरे जंगलों के बीच और आबादी के नजदीक बने ट्रंचिंग ग्राउंड में रिसाइकिल प्लांट न लगने से कूड़े का निस्तारण करने में पालिका के पसीने छूट रहे हैं और इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। 

🔹कूड़ा वाहन खरीदे पर चालक और पर्यावरण मित्रों की तैनाती नहीं 

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स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए चार माह पूर्व जिले के गांवों में कूड़ा निस्तारण के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक से 11 कूड़ा वाहन खरीदे गए। मगर अब तक इन वाहनों के संचालन के लिए न चालक और ना ही पर्यावरण मित्रों की तैनाती हो सकी है। गांवों से निकलने वाले कूड़े के लिए डंपिंग जोन भी अब तक चिन्हित नहीं हो सके हैं। रानीखेत में गांवों से निकलने वाले कूड़े को खनिया गांव के गधेरे में फेंककर जिम्मेदारी निभाई जा रही है।

🔹स्याल्दे में विनोद नदी का किनारा बना डंपिंग जोन

स्याल्दे विकासखंड मुख्यालय में क्षेत्र के 80 से अधिक गांवों की प्यास बुझाने वाली जीवनदायिनी विनोद नदी के किनारे को ही डंपिंग जोन बनाया गया है। विकासखंड और तहसील मुख्यालय के बिल्कुल पास बहने वाली नदी के किनारे पर लगा कूड़े का ढेर सभी सफाई अभियानों पर सवाल खड़े कर रहा है।