Almora News:दहेज उत्पीड़न पर ऐतिहासिक निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट का पत्र लिखकर धन्यवाद

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राष्ट्र नीति संगठन के नेतृत्व में कई वरिष्ठ और नामी अधिवक्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498 A के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया ऐतिहासिक निर्णय शिवांगी बंसल बनाम साहिब बंसल (2025) SC,6519 निर्णय जिसमें दहेज उत्पीड़न के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश श्री BR गंवई, श्री जॉर्ज मसीह की बेंच द्वारा गिरफ्तारी पर 2 महीने तक रोक लगाने तथा इसे कूलिंग ऑफ पीरियड के रूप में मान्यता देने को लेकर के धन्यवाद अदा किया है जिससे लगातार दहेज उत्पीड़न के फर्जी मामलों में गिरफ्तारी के माध्यम से एक बड़े वर्ग की प्रताड़ना हो रही थी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति संगठन के अध्यक्ष हैं नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता विनोद चंद्र तिवारी द्वारा कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई है उन्होंने बताया दहेज उत्पीड़न के मामलों में अब दो माह तक गिरफ्तारी पर रोक रहेगी साथ में उन्होंने नेशनल क्राइम और रिकॉर्ड ब्यूरो का डाटा साझा किया है 2020 की रिपोर्ट के अनुसार IPC 498A घरेलू हिंसा के कुल 111 549 मामले दर्ज किए गए थे जिम अभी तक 18967 मामलों पर निर्णय आया है और केवल 3425 दोषी पाए गए हैं क्योंकि 18% से भी काम है और 82% लोग निर्दोष पाए गए हैं, वही IPC 376 बलात्कार के कुल 85 397 मामले दर्ज हुए जिनमें 20182 पर निर्णय आया और मात्र 5629 लोग दूसरी साबित हुए जो की 28% के आसपास है जिसमें 72% लोग निर्दोष साबित हुए। शिवांगी बंसल और साहब बंसल के केस में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा प्रदत्त शक्ति का उपयोग किया और फर्जी मुकदमे दर्ज करने वाली आईपीएस ऑफिसर पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा अपनी सोशल मीडिया अकाउंट में फर्जी मुकदमे दर्ज करने के लिए अपने पति तथा उसके परिवार के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया।
इससे पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा भी ठीक इसी प्रकार के एक निर्णय दिया गया था जिसमें पारिवारिक और घरेलू हिंसा मामले में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने की बात की गई थी माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसकी पह पुष्टि की गई है।
सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं और कानून वेदों का मानना है कि जिस प्रकार से महिला सुरक्षा से जुड़े हुए कानून का दुरुपयोग हो रहा है उसे पूरे प्रकरण में यह निर्णय आने वाले समय में समाज को सही दिशा देने वाला होगा और इससे अधिकांश अधिवक्ताओं में भी संतोष व्यक्त किया है।
सर्वोच्च न्यायालय को पत्र लिखने वाले अधिवक्ताओं में नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता विनोद तिवारी अधिवक्ता भूपेश,अधिवक्ता उमेश कांडपाल, अधिवक्ता हिमांशु जोशी, अधिवक्ता भानु तिलारा, अधिवक्ता दीवान लटवाल विधि छात्रा नीमा आर्या मौजूद रहे।

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