Almora News:जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय की अध्यक्षता में “जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना” पर अभिमुखी कार्यशाला, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना तथा सारा की बैठक हुई आयोजित।

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जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार, अल्मोड़ा में “जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना” के संबंध में एक अभिमुखी (ओरिएंटेशन) कार्यशाला/बैठक का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला/बैठक उपनिदेशक, जलागम प्रबंधन, अल्मोड़ा के तत्वावधान में आयोजित की गई।

कार्यशाला का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए बारानी क्षेत्रों में टिकाऊ और जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना रहा। इस परियोजना के तहत कृषि उत्पादन को बढ़ाने, किसानों की आय में वृद्धि करने एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष बल दिया गया।

जिलाधिकारी श्री पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए पारंपरिक कृषि प्रणाली में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। उन्होंने संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजना के लक्ष्यों को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जाए, जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें।
कार्यशाला में परियोजना के विभिन्न पहलुओं, क्रियान्वयन रणनीतियों एवं लाभार्थियों की भागीदारी पर विस्तृत चर्चा की गई।

उपनिदेशक जलागम प्रबंधन अल्मोड़ा अजय कुमार ने परियोजना के उद्देश्यों, गतिविधियों एवं इसके चरणों आदि के बारे में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के उद्देश्यों में ग्रीन हाउस गैसों के न्यूनीकरण हेतु सक्षम तथा सुदृढ़ उत्पादन प्रणाली विकसित करना, विज्ञान आधारित अवधारणा से सुदृढ़ जलागम का विकास करना, कृषि व्यवसाय तथा उद्यमिता के माध्यम से आय बढ़ाना, फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करना समेत अनेक जनकल्याणकारी उद्देश्य निहित हैं।

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उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि यह परियोजना जनपद अल्मोड़ा के 3 ब्लॉकों में कार्यरत है, जिसने विकासखंड हवालबाग, द्वाराहाट तथा ताड़ीखेत शामिल हैं। इन ब्लॉकों में 93 ग्राम पंचायतों की आबादी इससे लाभान्वित होगी।
इस परियोजना के तहत 3 यूनिट स्थापित की गई हैं जिसमें मजखाली, पिलखोली तथा ताड़ीखेत शामिल हैं।

परियोजना की गतिविधियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इसके तहत जल प्रवाह में वृद्धि एवं मृदा क्षरण में कमी लाना, अनुकूल तकनीकों का अंगीकरण करना, कृषि क्षेत्रों में ग्रीन हाउस गैसों का न्यूनीकरण करना, पौधारोपण गतिविधियों से कार्बन अवशोषण एवं कार्बन क्रेडिट के लिए लाभार्थियों का चयन करना, बारानी एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करना, कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना जैसे विभिन्न कार्य होते हैं।

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🌸क्या होती है बारानी कृषि ?

बारानी कृषि, जिसे शुष्कभूमि कृषि या वर्षा आधारित खेती भी कहते हैं, सिंचाई के बिना वर्षा जल पर निर्भर खेती है. यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयोगी है, जहां मिट्टी की नमी को संरक्षित करने, नमी को बढ़ाने और कम नमी में जल्दी पकने वाली फसलों का चुनाव करने जैसी तकनीकें अपनाई जाती हैं।

इसके पश्चात प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जलागम विकास घातक 2.0 की जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में इस योजना के अंतर्गत की गई गतिविधियों एवं जनपद में इसके क्रियान्वयन आदि के बारे में जिलाधिकारी ने समीक्षा कर जरूरी दिशा निर्देश दिए।
इस दौरान स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवनेशन एजेंसी (सारा) की बैठक भी हुई। इस बैठक में जनपद में नदियों के कायाकल्प एवं जल संरक्षण एवं संवर्धन जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चा हुई।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी रामजी शरण शर्मा समेत कृषि, उद्यान, मत्स्य, पशुपालन, जलागम, वन, ग्रामीण विकास आदि विभागों के अधिकारी एवं विभिन्न संबंधित हितधारक उपस्थित रहे। ।

जिला सूचना अधिकारी अल्मोड़ा।

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