Almora News:अल्मोड़ा के इन महाविद्यालयों में हुआ गढ़भोज दिवस का आयोजन,भारत ही नहीं विदेशों में भी पहाड़ी व्यजनों की बढ़ रही दिलचस्पी

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जब भी बात देवभूमि उत्तराखंड की आती है तो वहाँ के व्यंजनों को भी खूब पसंद किया जाता है फिर चाहे बात झंगुरे की खीर की हो या मंडुवे की रोटी और तिल की चटनी की या हो बात भांग की चटनी की। उत्तराखंड का पारंपरिक खानपान गुणवत्ता और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद लाभका हिप वो अपनेरी माना गया है। भारत ही नहीं विदेशों में भी पहाड़ के मंडुवा, झंगोरा, काले भट, गहथ, तिल आदि अपनी मार्केट बना रहे हैं।

🔹पहाड़ी व्यंजनों की दी जानकारी 

जैंती महाविद्यालय में गढ़भोज दिवस के अवसर पर शनिवार को औषधियों गुणों से भरपूर फसलों और मोटे अनाज से बनने वाले भोजन की गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि मोटा अनाज खाने से शरीर को कई लाभ होते हैं।उन्होंने मडुवे का हलवा, झंगोरे खीर, गहत की रोटी आदि की जानकारी दी।वहां डॉ. मनोज कुमार पंत, डॉ. केशव दत्त जोशी, डॉ. राकेश बिष्ट, डॉ. मनोज कुमार पंत, डॉ. राधे श्याम, डॉ. पूनम आदि मौजूद रहे। 

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🔹लमगड़ा में भी हुआ आयोजन 

लमगड़ा महाविद्यालय में गढ़भोज दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान प्राचार्य डॉ. साधना पंत ने बताया कि पहाड़ी भोजन राज्य को नई पहचान दिला रहा हैं। वर्तमान समय में परंपरागत फसलों को अधिक से अधिक पैदावार बदलने की जरूरत है। वहां प्राध्यापक डॉ. रेनू जोशी, सिद्धार्थ कुमार गौतम, धर्मेंद्र नेगी, अर्जुन सिंह, हेम प्रकाश आर्या, दीपक कुमार, गौरव सिंह बिष्ट, हिमांशु बिष्ट, पंकज सिंह आदि मौजूद रहे। 

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🔹भतरौंजखान में भी हुआ आयोजन 

भतरौंजखान महाविद्यालय में गढ़ भोज कार्यशाला का आयोजन किया गया। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि इसका उद्देश्य पहाड़ी भोजन को पहचान दिलाने के साथ उसकी पौष्टिकता के बारे में आम लोगों को जानकारी देना है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. केतकी तारा कुमैय्या ने कहा कि देश में बनी हुई चीजों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए उन्हें अधिक बढ़ावा देना चाहिए। वहा डॉ. पूनम, डॉ. रूपा, ललित मोहन, गिरीश ,रोहित, जगदीश आदि मौजूद रहे।