Almora News:अल्मोड़ा में बनते हैं रावण परिवार के दर्जन से अधिक पुतले, भारत में तीसरे नंबर पर ‘अल्मोड़ा का दशहरा’
अल्मोड़ा का दशहरा पर्व जोकि अपने आप में एक ऐतिहासिक है अल्मोड़ा में पुतले बनाने की परंपरा करीब 100 साल पुरानी मानी जाती है. बताया जाता है अल्मोड़ा में पहले सिर्फ रावण का ही पुतला बनाया जाता था, लेकिन पिछले करीब 40 सालों से दशहरा महोत्सव में अब रावण के साथ-साथ रावण के परिवारों के पुतले भी बनाए जाते हैं।
🔹कुल्लू मनाली के बाद अल्मोड़ा का दशहरा तीसरे स्थान पर
शुरुआती दौर में यहां रावण कुल के 30 पुतले जलाए जाते थे। लेकिन अब पुतलों की संख्या में कुछ कमी आई है।बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व का अल्मोड़ा में इतिहास समृद्ध है। कुल्लू के बाद यहां का दशहरा पर्व पूरे देश में विशिष्ट पहचान रखता है। वरिष्ठ रंगकर्मी और संस्कृति प्रेमी नवीन बिष्ट बताते हैं कि वर्ष 1936 में जौहरी मोहल्ले में कुंभकर्ण का पुतला बनाने की शुरुआत हुई। नंदादेवी, लाला बाजार में रावण का पुतला बनाया जाता था जो आज भी जारी है। 1974 से अब तक पलटन और थाना बाजार के कलाकार मेघनाद का पुतला बनाते हैं।
🔹15 पुतलों का होगा दहन
दशहरा महोत्सव समिति दशहरे के दिन दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ रावण परिवार के पुतलों की भव्य शोभा यात्रा निकालेगी। समिति के अध्यक्ष अजीत सिंह कार्की ने बताया कि रावण कुल के पुतलों की शोभा यात्रा एसएसजे परिसर के मैदान तक निकलेगी, जहां उनका दहन होगा।
🔹विदेशी पर्यटक भी होते हैं शामिल
दशहरा महोत्सव समिति के अध्यक्ष कार्की ने बताया कि पुतला दहन कार्यक्रम में जिले के लोगों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी उत्साह के साथ शामिल होते हैं। विदेशी मेहमानों को भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है।