Almora News: जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों के पास नहीं है अपनी छत,किराये के भवनों में संचालित हो रहे हैं 23 आयुर्वेदिक अस्पताल

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अल्मोड़ा। सरकार आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देने की बात कह रही है लेकिन जिले में आयुर्वेदिक अस्पताल बदहाली का सामना कर रहे हैं। इन अस्पतालों की बेहतरी तय करने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना सामने नहीं आ पाई है।नतीजा यह है कि जिले में 50 आयुर्वेदिक अस्पताल हैं। इनमें से 23 अस्पताल किराये की इमारतों में चल रहे हैं।

🔹बारिश में टपकते छत के कारण  दवा समेत कार्यालय में रखे गए दस्तावेजों हो रहे खराब 

लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ देने के लिए जिले में 50 आयुर्वेदिक अस्पताल खोले गए थे। उत्तराखंड बनने के 22 साल बाद भी 23 अस्पतालों को अपनी छत नहीं मिल पाई है। जिला मुख्यालय में भी अस्पताल के पास अपना भवन नहीं है। राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल नगर (अल्मोड़ा) लोअर माल रोड खोल्टा में किराये के भवन में संचालित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है। किराये के भवन में होने के कारण इन अस्पतालों की जगह बदलती रहती है। इसकी वजह से मरीजों को अस्पताल के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है। कई अस्पताल भवनों की छत जीर्णशीर्ण हो गई है। बारिश में छत से पानी टपकता है जिससे दवा समेत कार्यालय में रखे गए दस्तावेजों के खराब होने की आशंका रहती है। 

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🔹ये अस्पताल चल रहे किराये के भवन में

राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल अल्मोड़ा नगर, डीनापानी, काकड़ीघाट, सोनी, हऊली, मनुली, अगासपुर, सैंणमानुर, मेरगांव, दोड़म, तोली, जिंगोली, बानठौक, बकस्वाड़, झिपुलचौड़ा, जीनापानी, नगचूलाखाल, देवलीखेत, तलागताल, स्यूनाकोट, भगौती, मनान, सल्पड़।