Almora News :एक्सपेरिमेंट रिसर्च प्रोसेस, डिजाइन और रिसर्च अप्रौच से रूबरू हुए शोधार्थी

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अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में कुमाऊ विवि के शिक्षा संकायाध्यक्ष रहे प्रो नवीन चंद्र ढ़ौडियाल की ओर से शोधार्थियों रिसर्च मैथडोलाॅजी पर व्याख्यान दिया। जिसमें प्रायोगिक शोध, डिजाइन, चरों के प्रकार और पाॅजिटीविज्म और पोस्ट पाॅजिटीविज्म अप्रोच की वृहद जानकारी दी।

💠मंगलवार को शिक्षा संकाय के सभागार में आयोजित अतिथि व्याख्यान में प्रो एनसी ढ़ौडियाल ने बताया कि एक्सपेरिमेंट रिसर्च नेचुरल साइंन में बहुतायत प्रयोग होने वाली रिसर्च हैं। परंतु वर्तमान में समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र. एवं मनोविज्ञान के क्षेत्र में इसका प्रयोग अत्यधिक होने लगी है। उन्होंने बताया कि यह शोध करने के लिए चरों पर नियंत्रण करना, आटिफिशियल सेटिंग में एक्सपेरिमेंटल डिजाइन एक पाॅवरफुल रिसर्च है। 

💠उन्होंने बताया कि एक्सपेरिमेंटल रिसर्च में कारण प्रभाव (इनडिपेंडेंट और डिपेंडेंट वेरिएबल) को इंटर विनिंग, एक्स्ट्राॅनोसिस, आर्गेंज्मिक वेरिएबल प्रभावित करते है। अनकंट्रोल वेरिएबल को कंट्रोल करनेे के लिए एक्सपेरिमेंटल रिसर्च में स्टैटिक्स मैथड्स का प्रयोग किया जाता है। जिसमें एनालिसिस आॅफ को वेरिएंस (एनकोवा) सबसे अधिक प्रयुक्त होता है। 

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💠वहीं, शैक्षिक शोध की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि अप्रोच के आधार पर शोध को मुख्य तौर पर क्विालिटेटिव व क्वानटिटेटिव शोध में बांटते है। क्वालिटेटिव विधि में विषय के गहन अध्ययन किया जाता है। 

💠रिस्पोंडेस से एक रिसर्चचर को तदात्म स्थापित करना पड़ता है। ताकि उसकी भाव भंगिमाओं का भी व सहीं ढ़ग से व्याख्या कर सके। जिसमें मानव व्यवहार, संस्कृति, एक समुदाय का दूसरे समुदाय से संबंध और आर्गनाइजेशन की इन डेप्थ स्टेडी की जाती है। इसकी प्रक्रिया चक्रीय होती है। वहीं, क्वानटेटिव रिसर्च आजेक्टिव और वेरिफाइबल होती है। 

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💠यह निगमानात्मक तर्क पर आधारित होती है। यह शोध आबजेक्टिव, मैजरेबल, स्टेबिलिस और काॅज एण्ड इफेक्ट रिलेशनशिप पर आधारित होती है। इस दौरान बीच बीच में प्रो ढ़ौडियाल ने शोधार्थियों के मन में शोध को लेकर उठ रहे प्रश्नों का उत्तर देकर संतुष्ट भी किया। व्याख्यान से पहले संकायाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने प्रो एनसी ढ़ौडियाल अभिनंदन किया साथ ही लेक्चर के समापन अवसर पर उनका आभार जताया। 

💠इस मौके पर डाॅ रिजवाना सिद्दीकी, डाॅ संगीता पंवार, डाॅ नीलम, शोधार्थी अविनाश शील, पूजा सौन, कुंदन अटवाल, अंजलि बूढ़ाकोटी, योगेश जोशी, कल्पना मिश्रा, पूजा पाठक, मनीषा अजनेश राणा, मनोेज कुमार, पूजा नेगी, आरएस खाती, शैलजा आदि मौजूद रहे.