बाघ के बढ़ते आंतक से पौड़ी के एक दर्जन से ज्यादा गावों में लगा नाईट कर्फ्यू

देहरादून: उत्तराखंड के पौड़ी जिले में बाघ का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। रिखणीखाल और धुमाकोट तहसील के 24 गांवों में बांघ का आतंक है। इन गांवों में नाइट कर्फ्यू लागू है। शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू रहता है। पौड़ी जिले में पिछले वर्ष में वन्यजीवों के हमले में 11 लोग जान गंवा चुके हैं। वहीं, 41 लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक 5 मौत गुलदार के हमले से हुई है। बाघ के हमले से तीन लोगों की मौत हुई है। इनमें 2 मौत तो हाल ही में रिखणीखाल और नैनीडांडा प्रखंड के गांव में हुई है।
शिकायत को प्रशासन ने हल्के में लिया
24 गांव में बाघ का आतंक है। यह इलाका जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से लगा है। पिछले कई दिनों से गांव के आसपास बाघ दिखने की शिकायत लोग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। इससे ग्रामीणों को अपनी जान से गंवानी पड़ी। इसके बाद प्रशासन जागा और सतर्कता बढ़ाते हुए पकड़ने के लिए जाल बिछाया है।
ये एरिया खतरनाक
कार्बेट टाइगर रिजर्व 1318.54 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका 521 वर्ग किलोमीटर हिस्सा कोर जोन और 792.72 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा बफर जोन में आता है। कोर जोन का 312.86 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा पौड़ी जिले में आता है। ये पौड़ी जिले के रथुवा ढाब क्षेत्र में है। इस क्षेत्र में जिम कार्बेट पार्क की सीमा करीब 62 किलोमीटर लंबी है। इन दिनों इसी क्षेत्र में बाघ आतंक है। तैड़िया, पांड, झुडुंग जैसे कई गांव टाइगर रिजर्व के बफर जोन में आते हैं। इससे लोगों को इसका दंश झेलना पड़ रहा है। सेंधीखाल से शुरू होने वाली सीटीआर की सीमा मैदान तक है। यह करीब 62 किलोमीटर लंबी है।