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सरकार ने सभी वर्दीधारी विभागों में कांस्टेबल से लेकर सब इंस्पेक्टर रैंक की अब एक ही परीक्षा कराने का निर्णय लिया है। अलबत्ता, भर्ती के मानक संबंधित विभागों के अपने-अपने होंगे। लंबे समय से इसकी कसरत चल रही थी,अब जाकर सरकार ने सीधी भर्ती की चयन प्रक्रिया नियमावली को मंजूरी दे दी है।

सचिव गृह एवं गोपन शैलेश बगौली ने बताया कि सरकार के साधनों का समुचित एवं विवकेपूर्ण उपयोग किए जाने और अभ्यर्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में सुविधाजनक स्थिति प्रदान करने के लिए यह व्यवस्था की गई है। कहा कि भविष्य में ‌विभिन्न भर्ती एजेंसियों के मार्फत सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर रैंक तक जो भर्ती होगी, वह संबंधित सभी विभागों के लिए होगी।

मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को उनके विकल्प के आधार पर विभाग आवंटित होंगे।उन्होंने बताया कि पुलिस में कांस्टेबल,अग्निशमन में फायरमैन,जेल में बंदी रक्षक, पीएसी में आरक्षी,आबकारी में कांस्टेबल,सचिवालय में रक्षक,परिवहन में प्रर्वतन सिपाही,वन में फारेस्ट गार्ड के पदों पर एक ही भर्ती होगी। इसी तरह क्रमश: सब इंस्पेक्टर,फायर सेंकेंड अफसर,प्रधान बंदी रक्षक,प्लाटून कमांडर,आबकारी सब इंस्पेक्टर,सचिवालय सब इंस्पेक्टर,परिवहन उप निरीक्षक और फारेस्टर की एक परीक्षा आयोजित की जाएगी।

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इस फैसले से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को परीक्षा में बैठने के कम मौके मिल पाएंगे। उदाहरण के तौर पर कोई अभ्यर्थी यदि अपने पहले प्रयास में किसी एक वर्दीधारी विभाग की परीक्षा में सफल नहीं हो पाता था तो वह दूसरे वर्दीधारी विभाग के भर्ती की तैयारी शुरू कर लेता था। अब एक परीक्षा होने से उसे दूसरी बार परीक्षा में बैठने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। ऐसा भी हो सकता है कि जब भर्तियों की विज्ञप्ति जारी हो, तब वह निर्धारित आयु की सीमा पूरी कर गया हो। इस दशा में वह भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन करने से वंचित रह सकते हैं।

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उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग के संरचनात्मक ढांचे के पुनर्गठन को धामी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दी है। पूर्व में सृजित कुल 47 पदों के सापेक्ष अब 12 नए पदों का सृजन किया गया है। इस तरह से आयोग में अब पदों की संख्या 47 से बढ़कर 59 हो गई है। उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग का गठन वर्ष 2011 में किया गया था। तब आयोग के संरचनात्मक ढांचे में कुल 47 पद सृजित किए गए थे। आयोग के वर्तमान संरचनात्मक ढांचे का विगत 11 वर्षों में कार्य की आवश्यकता के आधार पर पुनर्गठन नहीं किया जा सका था। इससे आयोग के दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे थे। कार्य की अधिकता को देखते हुए आयोग के ढांचे में 12 नए पद सृजित किए गए हैं।

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