Uttrakhand News:उत्तराखंड से इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना आई सामने,एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं होने के कारण अपने भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर घर ले गई बहन

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उत्तराखंड से इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. यहां एक गरीब युवती को एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं होने के कारण अपने भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर घर तक ले जाना पड़ा.

हालांकि, घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए.

🌸जानें क्या है पूरा मामला?

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, बेरीनाग के एक गांव की रहने वाली शिवानी (22) अपने छोटे भाई अभिषेक (20) के साथ हल्द्वानी के हल्दूचौड़ में एक कंपनी में काम करती थी. पुलिस ने बताया कि अभिषेक शुक्रवार को सिर में दर्द होने की बात कहते हुए काम से जल्दी घर आ गया और बाद में वह रेलवे पटरी के पास बेसुध मिला. बाद में उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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🌸एंबुलेंस के लिए चालकों ने मांगे हजारों रुपये

पोस्टमार्टम करवाने के बाद पुलिस ने शनिवार को अभिषेक का शव शिवानी को सौंप दिया. शिवानी ने बताया कि शव को गांव ले जाने के लिए अस्पताल के शवगृह के बाहर खड़े कई एंबुलेंस चालकों से बात की. लेकिन उन्होंने उसके लिए 10-12 हजार रुपये किराया मांगा. इतने पैसे उसके पास नहीं थे, इसलिए उसने सबसे कम किराया लेने की मिन्नतें कीं, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा.

🌸कई किलोमीटर तक छत पर बांधा रहा शव

उन्होंने बताया कि आखिर में उसने अपने गांव के एक टैक्सी चालक को बुलाया और भाई के शव को सामान की तरह टैक्सी की छत पर बांधकर 195 किलोमीटर दूर घर तक ले गई. इस बारे में पूछे जाने पर सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अरुण जोशी ने कहा, कि मामला अस्पताल के बाहर ही रहा जिससे उनके संज्ञान में नहीं आया.

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🌸अस्पताल वालों की नहीं होती एंबुलेंस की जिम्मेदारी?

उन्होंने कहा, अगर अस्पताल के अंदर की बात होती तो उनके संज्ञान में आई होती या उनसे सहयोग के लिए कहा जाता, तो वह निश्चित रूप से मदद करते. अस्पताल के बाहर खड़े मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि निजी एंबुलेंस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है. वे रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए उनसे मनमाफिक किराया वसूलते हैं.

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