जयकारों से गूंज उठा चम्पावत के हिंगला मां का दरवार

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उत्तराखंड: चम्पावत जिले के दक्षिण पहाड़ो की चोटी पर घने बांज के जंगलो के बीच स्थित माता हिंगला देवी के दरवार में चैत्र की पहली नवरात्रि की सुबह से ही भक्तों का विशाल जन सैलाव उमडने लगा है। यू तो इस मंदिर में वर्षभर भक्तों का आवागमन चलता ही रहता है परन्तु चैत्र और सावन मास में होने वाले नवरात्रि में खासी भीड़ रहती है। यह देवी
पीठ इस क्षेत्र के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में देवी हिंगला को “माँ भवानी” के रूप में पूजा जाता है। हिंगलादेवी मंदिर की प्राकर्तिक छटा अत्यधिक अनमोल है और इस पवित्र स्थल से पुरे चम्पावत शहर के दर्शन किये जा सकते हैं। इस मंदिर के बारे मान्यता है
कि इस स्थान से माँ भगवती अखिल तारणी की चोटी तक झुला (हिंगोल) झूलती थी, इसी वजह से इस स्थान को “हिंगलादेवी” कहा जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में पूजन करने से ऋद्धि-सिद्धि के साथ ही निसंतान दंपत्तियो की मनोकामना को भी पूर्ण होती है माता केइस मंदिर के पास एक बड़ी शीला के पीछे खजाना भी छिपा हुआ है। इस शीला में दरवाजानुमा एक आकृति बनी है और लोगों का मानना है कि इस खजाने की चाबी मां हिंगलादेवी के पास है
गौरतलब है कि यह मंदिर देवी शक्तियों के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टी से भी खासा
महत्व रखता है। यहां से दिखने वाली पर्वत श्रखला, घने जगल, पशु-पक्षियों की की आवाज
बरबस ही लोगो को अपनी ओर खींच लेती है।

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