Uttrakhand News :उत्तराखंड सरकार ने 144 साल पुराना, 400 करोड़ कीमत 16 परिवारों का कब्जा… खाली हुआ देहरादून का काबुल हाउस
उत्तराखंड के देहरादून (Dehradun) में स्थित काबुल हाउस (Kabul House) की 400 करोड़ की संपत्ति को आज खाली कराने की कार्यवाही प्रशासन की तरफ से की गई है, जिसमें लगभग 300 लोगों को उनके घरों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
💠तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनको यहां बनाने के लिए कुछ जमीन दी थी.
बताया जाता है कि काबुल के तत्कालीन राजा मोहम्मद याकूब खान (Mohammad Yaqub Khan) ने देहरादून के 15 बी ई सी रोड पर अपना महल बनाया था. याकूब खान काबुल से आकर देहरादून बसे थे. तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनको यहां बनाने के लिए कुछ जमीन दी थी, जहां उन्होंने अपना महल बनाया था. सरकार का कहना है कि आजादी के बाद याकूब खान वो यहां से दूसरे देश चले गए थे लेकिन उनके वंशजों का कहना है कि वो कहीं नहीं गए आज भी उनके वंशज यहीं मौजूद हैं.
इस विवाद का मामला देहरादून के डीएम कोर्ट में चल रहा था ये मामला पिछले 40 वर्षों से चल रहा था, जिसपर पिछले कुछ दिन पूर्व डीएम देहरादून ने आदेश जारी करते हुए सब को इस जमीन से बेदखल किया था और जमीन खाली करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था, जिसके बाद आज सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह के तरफ से दलबल के साथ मौके पर पहुंच कर सभी अतिक्रमणकारियों को घरों से बाहर निकाला गया. यहां लगभग 16 परिवार हैं जिनकी संख्या 200 से 300 लोगों की होगी.
💠भारत-पाकिस्तन बंटवारे के बाद बसे थे
इनमें से कुछ लोगों का कहना है कि हम लोग विस्थापित (दूसरे स्थान से लाकर बसाया गया) लोग हैं, जो भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान यहां आकर बसे थे. जगह खाली करने के बाद उन्लोगों ने आरोप लगाया कि उनलोगों को सुना नहीं गया और उनकी बात सुने बिना उनके घरों से निकाल दिया गया. इस मामले में कुछ लोग उत्तराखंड हाई कोर्ट भी गए है जिसकी सुनवाई आज होनी थी लेकिन सुनवाई से पूर्व ही इन लोगों को आज उनके घरों से बाहर निकल दिया गया है और घरों को सील कर दिया गया है फिलहाल इस मामले में प्रशासन का कहना है कि ये कार्यवाही जिलाधिकारी के कोर्ट के आदेशों के क्रम में की गई है.
💠कोर्ट ने लगाया स्टे
वहीं इन 16 परिवारों के पास सिर छुपाने के लिए कोई जगह नहीं है. इनका कहना है कि हमारे बारे में किसी ने नहीं सोचा हम कहा जाएंगे. उन लोगों ने कहा कि हम लोग यहां 80 वर्षों से रह रहे हैं लेकिन कोई हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है. इनमे से कुछ लोग उत्तराखंड हाई कोर्ट गए हैं. अब कोर्ट के आदेशों का इंतजार किया जा रहा है. कोर्ट ने इस मामले में 1 महीने का स्टे दिया है,जिसका आदेश आना अभी बाकी है. आदेश आने पर ही कोई कार्यवाही आगे की जा सकती है