Chandrayaan 3 Launch: चंद्रयान-3 का 13 जुलाई को होगा प्रक्षेपण, ISRO ने बताया शेड्यूल

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भारत का बहुतप्रतिक्षित चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बहुत जल्द लॉन्च होने वाला है। बुधवार को चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग प्रोग्राम की घोषणा हो गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 12-25 जुलाई के बीच होगी। सारी टेस्टिंग हो चुकी है। लॉन्चिंग डेट की घोषणा जल्द की जाएगी। यह भारत की चंद्र पर जाने की तीसरी कोशिश होगी। इससे पहले की दो कोशिशों में से एक में भारत को सफलता तो एक में असफलता हाथ लगी थी। ISRO चीफ ने बताया कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 13 जुलाई को दोपहर बाद 2:30 बजे किया जाएगा। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी। यदि इसरो का यह मिशन सफल रहता है तो भारत चंद्रमा पर अपना स्पेसक्राफ्ट उतारने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

🔹चंद्रयान-2 की असफलता से सीख ले कर आगे बढ़े हम

इसरो चीफ बुधवार को चंद्रयान-3 मिशन की जानकारी देते हुए इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान -2 मिशन में हम असफल हुए थे। जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों। लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें। वर्तमान में चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान पूरी तरह से एकीकृत है। हमने परीक्षण पूरा कर लिया है।

🔹इसरो चीफ बोले- चंद्रयान-3 से हम इतिहास रचेंगे

इसरो चीफ ने आगे कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें। चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे। मालूम हो कि चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। करीब 2 महीने बाद 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश कर रहा विक्रम लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है।

🔹श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा लॉन्च

अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान मार्क-3 के जरिये प्रक्षेपित किया जाएगा. प्रणोदक मॉड्यूल ‘लैंडर’ और ‘रोवर’ को 100 किलोमीटर तक चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा. इसमें, चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ध्रुवीय मापन का अध्ययन करने के लिए एक ‘स्पेक्ट्रो-पोलरमेट्री’ पेलोड भी जोड़ा गया है।

बता दें कि इससे पहले 7 सितंबर 2019 को भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी. इसे चंद्रमा की सतह के दक्षिण ध्रुव के पास उतरना था. यह जब चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था तब लैंडर विक्रम से उसका संपर्क टूट गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस समय ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने के लिए बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय में पहुंचे थे।

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