एसएसजेयू अल्मोड़ा को तीन साल पूरे होने को है ,अभी तक नही मिला अपना भवन , असमंजस में है प्रवक्ता और कर्मचारी वर्ग

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अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को कुमाऊं विश्वविद्यालय से पृथक होने के बाद भी अपना अलग भवन नहीं मिला है।साथ ही इसके अधीन महाविद्यालयों के समायोजन की प्रक्रिया भी अधर में लटकी हुई है ।इसका कारण निदेशालय से निर्देश नहीं मिलना बताया जा रहा है।

विवि को नहीं मिला अपना भवन

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा को कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से अलग कर बनाया गया।लेकिन नये विश्वविद्यालय के बनने के बाद वर्तमान तक विश्वविद्यालय के कार्यों में कोई भी प्रगति नहीं हुई है।तीन साल पूरे होने को हैं और अभी तक विश्वविद्यालय को अपना अलग भवन नहीं मिला है। वहीं जाे परिसर इसके अधीन किये गए, उनके प्रवक्ताओं और कर्मचारियों को समायोजित कर नियुक्ति नहीं दी गई है।

कार्य टालने के चलते समायोजन की प्रक्रिया अधूरी

 सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के निर्माण के समय एक परिसर व 39 महाविद्यालय इसके अंतर्गत आते थे।जिनमें से दो महाविद्यालय बागेश्वर एवं पिथौरागढ़ को परिसर बनाने की कवायद शुरू हुई।इनको परिसर बना देने की अधिसूचना भी जारी की गई।जिसके बाद इन दोनों परिसरों के कर्मचारियों को समायोजित करने की प्रक्रिया शुरु की जानी थी। लेकिन निदेशालय स्तर से हुई हीलाहवाली के चलते अभी तक समायोजित करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है।समायोजन की प्रक्रिया में निदेशालय और विश्वविद्यालय दोनों की भागीदारी होती है।

प्रवक्ताओं एवं कर्मचारियों में है असमंजस

विश्वविद्यालय ने इनको समायोजित करने के लिए एक तिथि निर्धारित की।लेकिन महाविद्यालयों के प्राचार्यों के पास निदेशालय से कोई आदेश नहीं मिलने की बात कहते हुए प्रवक्ताओं और कर्मचारियों को कार्यमुक्त नहीं किया।जिससे वह समायोजन की प्रक्रिया अधर में लटक गई।कार्यमुक्त नहीं करने के कारण महाविद्यालयों के प्रवक्ता और कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

निदेशालय से नहीं दी गई कोई गाइडलाइन

 एसएसजेयू अल्मोड़ा के कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने बताया कि 75 में से 36 प्रवक्ताओं और 25 में से 11 कर्मचारियों का समायोजन कर नियुक्ति दी जा चुकी है। लेकिन समायोजन की प्रक्रिया वर्तमान में बाधित है. इसका कारण निदेशालय स्तर से अपने अधीनस्त प्रधानाचार्यों को कोई गाइडलाइन नहीं दिया जाना है।उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में निदेशालय और विश्वविद्यालय दोनों सहभागी हाेते हैं। उन्होंने निदेशालय स्तर से कोई सहयोग नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। विश्वविद्यालय ने भी समायोजन कर नियुक्ति करने की प्रक्रिया के लिए 4 अप्रैल तक का समय बढ़ा दिया है।उम्मीद है अब बाधित हुई समायोजन की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी।

रिपोर्टर – रोशनी बिष्ट

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