नितिन गडकरी का बड़ा बयान प्रोजेक्ट तैयार किए जाते हैं,लेकिन वे समय पर पूरे नहीं हो पाते
अब नितिन गडकरी की नाराजगी भी सामने आने लगी है. यह आज (रविवार, 21 अगस्त) एसोसिएशन ऑफ कंसल्टिंग सिविल इंजीनियर्स द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम NATCON 2022 में चीफ गेस्ट के तौर पर उनके संबोधन में साफ दिखी.
विकास के कामों में टालमटोल को लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा. उन्होंने कहा,’प्रोजेक्ट तैयार किए जाते हैं. लेकिन वे समय पर कैसे पूरे हों, इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है. सरकार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह समय पर निर्णय नहीं लेती.’ यह कहते हुए नितिन गडकरी ने एक तरह से अपनी ही सरकार की खिंचाई की.
विकास के कामों में टालमटोल को लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा. उन्होंने कहा,’प्रोजेक्ट तैयार किए जाते हैं. लेकिन वे समय पर कैसे पूरे हों, इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है. सरकार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह समय पर निर्णय नहीं लेती.’ यह कहते हुए नितिन गडकरी ने एक तरह से अपनी ही सरकार की खिंचाई की.
गडकरी को मिली किस बात की सजा कि जाहिर करना पड़ा उन्हें गुस्सा नितिन गडकरी के बारे में एक बात सबको पता है कि वे अपनी राय बेखटके और बेहिचक दिया करते हैं. साथ ही वे एक निर्भीक और मोदी सरकार के सबसे अच्छा काम करके दिखाने वाले मंत्री हैं. उन्होंने पहले कई ऐसे काम किए हैं जिन्होंने रिकॉर्ड बनाया है.
वे आगे भी दावा करते हैं कि दो सालों में देश में अमेरिका से अच्छी सड़क बना कर दिखाएंगे. उनकी विकास दृष्टि और काम करने की शक्ति को लेकर विपक्ष भी सवाल नहीं उठाता है, लेकिन जब अपनी ही पार्टी से उन्हें सबसे अहम बोर्ड से बाहर कर दिया जाता है तो सवाल तो उठ ही जाता है.
गडकरी में और कोई कमी नहीं, बस मोदी-शाह के करीबी नहीं गडकरी बीजेपी के पहली श्रेणी के नेता हैं. उनके काम को पूरी दुनिया में आदर से देखा जाता है, लेकिन अपनी ही पार्टी में उनके काम का आदर नहीं किया जाता है, यह गडकरी की हताशा को बढ़ाता है.
इसके अलावा तो उनमें और कोई कमी नहीं है कि वे मोदी-शाह के करीबी नहीं हैं. यही बात गडकरी को शायद खल रही है. उन्होंने अपने संबोधन में इस हताशा को एक अलग ही तरह से जाहिर भी किया है.
‘प्रोजेक्ट तैयार किए जाते हैं, वक्त पर पूरे नहीं हो पाते हैं’
गडकरी ने कहा, ‘कंस्ट्रक्शन के फील्ड में वक़्त की काफी अहमियत है. टाइम इज मनी. लेकिन सरकार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह समय पर निर्णय नहीं लेती है. भारत में कंस्ट्रक्शन फील्ड का भविष्य उज्ज्वल है. इसके लिए हमें दुनिया की नई तकनीकों को आत्मसात करने की जरूरत है. हमें कंस्ट्रक्शन के लिए इस्तेमाल में आने वाले मटीरियल के विकल्पों को भी खोजना होगा, जिससे क्वालिटी कंप्रोमाइज किए बिना कीमत में कमी की जा सके. ‘
‘प्रोजेक्ट में देरी से होता है पैसों की कमी का रोना, जरूरी है टाइमिंग पर ध्यान देना’ गडकरी ने कहा, ‘हमारे पास पैसों की कमी नहीं है. बैंक जरूरत के हिसाब से पैसे देने को तैयार है. सवाल मानसिकता का है. प्रोजेक्ट तैयार किए जाते हैं. लेकिन वे समय पर पूरे नहीं हो पाते. इससे कभी-कभी तकलीफ होती है.
मैं इस बात पर ध्यान देता हूं कि प्रोजेक्ट जब तैयार हो रहे हों तो उसे वक्त पर पूरे कैसे हों, इसकी भी तैयारी दिखे. इस वक्त टोल से हमें साल में 40 हजार करोड़ का आमदनी होती है. 2024 तक यह बढ़ कर 1 लाख 40 हजार करोड़ हो जाएगी. ऐसे में वक्त में प्रोजेक्ट पूरे होने की जरूरत को समझना जरूरी है.’